राष्ट्रीय खबर
मुंबईः चाचा शरद पवार और भतीजा अजीत पवार की चुपचाप मुलाकात से महाराष्ट्र की राजनीति फिर गरमा गयी है। यह मुलाकात अजित या शरद पवार के घर पर नहीं, बल्कि पुणे के कारोबारी अतुल चौरड़िया के बंगले पर हुई। चाचा-भतीजे के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई। राजनीतिक रास्ते भले अलग हो गए हैं, लेकिन क्या खून के रिश्ते टूट सकते हैं? रिश्ते में तनाव के कारण चाचा शरद पवार चुपचाप अपने भतीजे अजित पवार से मिलने पहुंच गए।
और फिर चाचा-भतीजे के रिश्ते को लेकर नई अटकलें शुरू हो गईं। शनिवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के संस्थापक और प्रमुख शरद पवार ने पुणे में अपने भतीजे अजीत पवार से गुप्त रूप से मुलाकात की। बीजेपी-शिवसेना गठबंधन में शामिल होने के बाद भी चाचा शरद पवार से मुलाकात को लेकर अभी भी अटकलें लगाई जा रही हैं। यह मुलाकात अजित या शरद पवार के घर पर नहीं, बल्कि पुणे के कारोबारी अतुल चौरड़िया के बंगले पर हुई थी।
चाचा-भतीजे के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई। मीडिया के सवालों से बचने के लिए शरद पवार के जाने के करीब एक घंटे बाद अजित पवार बंगले से बाहर निकले। इस बीच इस मुलाकात की खबर सामने आते ही अटकलें शुरू हो गईं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अमल मिटकारी ने कहा, यह दोनों नेताओं के बीच पारिवारिक मुलाकात भी हो सकती है।
हमें इसकी जानकारी नहीं है। संयोग से अजित पवार ने पिछले जुलाई में अचानक चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत का एलान कर दिया था। रातों-रात वह विधायकों के साथ भाजपा-शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए और उपमुख्यमंत्री बन गए। उनके साथ एनसीपी के 8 अन्य नेताओं ने भी मंत्री पद की शपथ ली।
एक तरफ जहां अजित पवार ने चुनाव आयोग के सामने एनसीपी के नाम और चुनाव चिह्न पर अधिकार का दावा किया है, वहीं उन्होंने बार-बार कहा है कि शरद पवार उनकी पार्टी के नेता हैं। परिणामस्वरूप, अजित पवार के खेमे का असली ठिकाना हमेशा अंधेरे में रहा। हाल ही में अजित पवार समेत कई बागी नेता शरद पवार से मिलने पहुंचे। शरद पवार ने अपने भतीजे से अकेले में मुलाकात भी की। बहरहाल, एनसीपी दरार पाटने के लिए समय का इंतजार कर रही है।