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नफरती भाषण अस्वीकार्य है, इसे रोकना होगाः सुप्रीम कोर्ट

राष्ट्रीय खबर

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र को आदेश दिया कि वह देश भर में नफरत फैलाने वाले भाषण के मामलों की जांच के लिए एक समिति बनाने पर काम करे। पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला की एक याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया कि वह केंद्र को “घोर नफरत भरे भाषणों” पर रोक लगाने का निर्देश दे, जिसमें देश भर में आयोजित रैलियों में एक समुदाय के सदस्यों की हत्या और उनके आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार का आह्वान किया गया था।

हरियाणा, जहां पिछले सप्ताह सांप्रदायिक झड़पों में छह लोग मारे गए। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि समुदायों के बीच सद्भाव और सौहार्द होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, समुदायों के बीच सद्भाव और सौहार्द होना चाहिए। सभी समुदाय जिम्मेदार हैं।

नफरत फैलाने वाले भाषण की समस्या अच्छी नहीं है और कोई भी इसे स्वीकार नहीं कर सकता है। अदालत ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि वह 18 अगस्त तक समिति के बारे में निर्देश और जवाब मांगें। पीठ ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि वह वीडियो समेत सारी सामग्री एकत्रित कर नोडल अधिकारियों को दे।

याचिका में, श्री अब्दुल्ला ने कहा, हमें उम्मीद और भरोसा है कि राज्य सरकारें और पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि पहचान के बावजूद किसी भी समुदाय के खिलाफ कोई नफरत फैलाने वाला भाषण न दिया जाए और कोई शारीरिक हिंसा या संपत्तियों को नुकसान न हो। जस्टिस खन्ना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पुलिस प्रमुख को एक समिति बनाने के लिए कहेगा, जो विभिन्न क्षेत्रों के पुलिस स्टेशनों को प्राप्त नफरत भरे भाषण की शिकायतों पर गौर करेगी।

नूंह जिले में सांप्रदायिक हिंसा भड़कने और उसके गुरुग्राम शहर तक फैलने के छह दिन बाद तनाव के बीच 7 अगस्त को हरियाणा के गुरुग्राम में एक महापंचायत आयोजित की गई। हिंदू समाज महापंचायत द्वारा आयोजित सभा के पास पुलिस की अनुमति नहीं थी। हरियाणा पुलिस सांप्रदायिक झड़पों में संभावित पाकिस्तान कनेक्शन की भी जांच कर रही है। पुलिस ने कहा कि वे इस जांच के मुख्य विवरण पर टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन पाकिस्तान के साथ संभावित संबंधों की पुष्टि की। वैसे कानून के जानकार मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस टिप्पणी के जरिए नफरत फैलाने वाले टीवी चैनलों पर भी नकेल कसने का साफ साफ संकेत दे रहे हैं।

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