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अमित शाह ने संसद में दिया था बयान
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मैतेई दावा आदिवासियों को भगाने के लिए
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तुषार मेहता को सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगना चाहिए
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः मणिपुर के सभी 10 कुकी विधायकों ने अमित शाह से म्यांमार से आने वाले कुकी के दावे को साबित करने को कहा। गृह मंत्री ने दावा किया था कि 2021 में दक्षिण पूर्व एशियाई देश में तख्तापलट के कारण कई कुकी पूर्वोत्तर राज्य में चले गए थे। यह मांग करने वालों में भाजपा के आठ कुकी विधायक भी शामिल हैं। इनलोगों ने शुक्रवार को म्यांमार से आने वाले कुकी के बारे में संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें अपने दावों के पीछे विवरण प्रस्तुत करना चाहिए।
बुधवार को मणिपुर हिंसा पर चर्चा के दौरान शाह ने कहा था कि 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद कुकी डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम के संगठन ने सैन्य नेतृत्व के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी थी। गृह मंत्री ने दावा किया था कि म्यांमार में संघर्ष के कारण कई कुकियों को अपनी सुरक्षा के लिए म्यांमार से मणिपुर में आना पड़ा।
शाह ने कहा था कि इस आमद से बहुसंख्यक मैतेई आबादी में चिंताएं पैदा हो गईं। इंफाल घाटी में बड़े पैमाने पर केंद्रित मैतेई लोगों का दावा है कि म्यांमार और बांग्लादेशी नागरिकों द्वारा बड़े पैमाने पर अवैध आप्रवासन के कारण उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मौजूदा कानूनों के अनुसार उन्हें राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की अनुमति नहीं है। कुकियों को डर है कि अगर उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया तो मैतेई लोग उनकी भूमि संसाधनों पर कब्ज़ा कर सकते हैं।
इसके बाद कुकी विधायकों ने कहा कि शाह को यह दावा करते हुए देखना निराशाजनक था कि मणिपुर में जातीय हिंसा म्यांमार से घुसपैठ के कारण हुई अशांति का परिणाम थी। विधायकों ने आरोप लगाया कि कुकी लोगों का जातीय सफाया एक पूर्व नियोजित हमला है, जिसका उद्देश्य संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ आदिवासी भूमि को हड़पना है।
उन्होंने कहा, हमारे लोगों को घाटी से हिंसक तरीके से सफाया कर दिया गया है और हमारी कॉलोनियों को जमींदोज कर दिया गया है। हम अपना रुख दोहराते हैं कि केंद्र सरकार को राजनीतिक समझौते के माध्यम से एक अलग प्रशासन के रूप में इस जनसांख्यिकीय अलगाव को मान्यता देनी चाहिए।
उन्होंने शाह से म्यांमार से अवैध घुसपैठियों का विवरण प्रस्तुत करने और यह साबित करने का आग्रह किया कि वे कुकी गांवों में ग्राम रक्षा स्वयंसेवकों का हिस्सा थे। विधायकों ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से यह भी आग्रह किया कि वह अपने आरोप को साबित करें कि इंफाल के मुर्दाघरों में लावारिस शव अवैध घुसपैठियों के थे, ऐसा न करने पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट के समक्ष माफी मांगनी चाहिए। मेहता ने गत 1 अगस्त को मणिपुर हिंसा पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह दावा किया था।