Breaking News in Hindi

मणिपुर पर प्रधानमंत्री का मौन तोड़ना चाहते हैं

  • मुख्यमंत्री को हटाने की मांग की गयी

  • अब तक मणिपुर क्यों नहीं गये मोदी

  • शांति बहाली सभी की जिम्मेदारी बनती है

नयी दिल्ली: कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि मणिपुर मामले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मौन तोड़ने के लिए विपक्ष को लोकसभा में उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का कदम उठाना पड़ा क्योंकि प्रधानमंत्री का बयान सरकार के किसी मंत्री के बयान के ज्यादा वजन रखता है। प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह पर स्थिति को काबू पाने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए उन्हें हटाये जाने की मांग की।

अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करते हुए सदन में कांग्रेस दल के उप नेता गौरव गोगोई ने कहा, यह प्रस्ताव मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री जी का मौन तोड़ने के लिए लाया गया है। प्रधानमंत्री ने सदन के सामने राज्य की स्थिति पर बयान दिया होता तो यह स्थिति न आती। उन्होंने कहा कि श्री मोदी को स्वीकार करना चाहिए कि मणिपुर में उनकी डबल इंजन सरकार विफल हो गयी। उन्होंने प्रधानमंत्री के सामने तीन सवाल रखते हुए कहा , प्रधानमंत्री मणिपुर अब तक क्यों नहीं गये, उन्होंने मणिपुर 30 सेंकेड का बयान दिया, इसमें 80 दिन क्यों लग गये। उन्होंने अब तक मणिपुर में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की सरकार को बर्खास्त क्यों नहीं किया। श्री गोगोई ने कहा कि मणिपुर विभाजित हुआ है , यह केवल पूर्वोत्तर के किसी एक राज्य का मुद्दा नहीं है बल्कि यह पूरे भारत का मुद्दा है।

द्रमुक के टी आर बालू ने कहा कि मोदी सरकार ने भी सरकार पर मणिपुर के हालात को लेकर हमला किया और कहा कि मोदी सरकार ने वहां के लोगों को उन्हीं के हालात पर छोड दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशों में बोलते हैं लेकिन मणिपुर पर सिर्फ महज एक दो मिनट बोलते हैं। वह मणिपुर नहीं जा सकते हैं और वहां के बारे में बोलने को भी तैयार नहीं हैं। यह सरकार सभी नियमों का उल्लंघन कर रही है और संसदीय परंपरा को कमजोर कर रही है।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने भी सरकार पर हमला किया और कहा कि वह राज्य सरकारों के साथ मनमानी करती है। इस सरकार ने नौ साल में नौ राज्य सरकारों को गिराया है। मोदी सरकार को किसान विरोधी करार देते हुए उन्होंने कहा कि इस सरकार में विदेशी कर्ज बढ़ गया है और सरकार के पास यह कर्ज लौटाने की क्षमता नहीं है इसलिए एलआईसी को बेच रहे हैं और संभव है कि आने वाले समय ओएनजीसी को भी बेच दें।

शिव सेना के श्रीकांत एकनाथ शिंदे ने कहा कि विपक्षी दल 2019 में भी इसी तरह का अविश्वास प्रस्ताव मोदी सरकार के साथ लाया था और तब श्री मोदी ने भविष्यवाणी की थी कि 2023 में भी विपक्ष इसी तरह का अविश्वास प्रस्ताव लाएगा और यह भविष्यवाणी सच साबित हुई है। प्रधानमंत्री पर मणिपुर नहीं जाने का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि श्री मोदी ऐसे एकमात्र प्रधानमंत्री हैं जो पूर्वोत्तर पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। वहां के विकास पर ध्यान दे रहे हैं। वहां सात एअरपोर्ट थे अब 14 हो गये हैं। पूर्वोत्तर के लिए रेलवे बजट में जबरदस्त इजाफा हुआ है।

समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने कहा कि जब अपराधों की बात होती है तो मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा आदि राज्यों की बाती भी होना चाहिए। आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में हर तीन घंटे में एक महिला का उत्पीड़न हो रहा है। मणिपुर का मुद्दा अत्यंत शर्मनाक है लेकिन सरकार असंवदेनशील तरीके से इस मुद्दे को लेकर चल रही हैं।

बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा ने अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि राज्य जल रहा है तो सभी दलों की जिम्मेदारी है कि मणिपुर में शांति के लिए सभी दलों को अपने रचनात्मक सुझाव देने चाहिए। उनका कहना था कि राज्य के मुख्यमंत्री को निश्चितरूप से अपने राजधर्म का पालन करना चाहिए और केंद्र को भी इस बारे में उचित कदम उठाना चाहिए लेकिन मणिपुर में शांति बहाली कैसे हो यह सबकी जिम्मेदारी है और सभी दलों को इस बारे में अपनी राय देनी चाहिए।

शिवसेना (उद्धव गुट) के अरविंद सावंत ने मणिपुर का मुद्दा उठाया और कहा कि अविश्वास प्रस्ताव इसलिए लाया गया कि प्रधानमंत्री को संसद के प्रति जवाबदेह बनाया जाए। उच्चतम न्यायालय ने सरकार के मुंह पर तमाचा लगाया है। मणिपुर में भी उच्चतम न्यायालय ने जांच से लेकर कार्रवाई तक का निर्णय अपने हाथ में ले लिया और सरकार पर प्रश्नचिह्न लगा दिया। द्रमुक के थोल तिरुमावलन ने कहा कि वह मणिपुर में राहत कैंपों में रह रहे 60 हजार लोगों का केन्द्र सरकार और राज्य सरकार में विश्वास खत्म हो गया है। महिलाओं के साथ दुव्यर्वहार हुआ लेकिन केन्द्र एवं राज्य सरकार कुछ नहीं बोली।

हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही अपराह्न बारह बजे तक स्थगित

नयी दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर की गई टिप्पणी को कार्यवाही से नहीं हटाये जाने को लेकर हुए हंगामे के कारण आज लोकसभा कार्यवाही अपराह्न बारह बजे तक स्थगित कर दी गई।

सदन समवेत होते ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जैसे ही प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि आप सदन के अध्यक्ष हैं। आपको कुछ असंवैधानिक लगता है तो उसे कार्यवाही से हटा देते हैं लेकिन वह फिर उसे वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाता है।

क्या आपके आदेश की कोई मान्यता नहीं है। श्री चौधरी ने कहा कि यह घोर अन्याय है। संसदीय परंपरा की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है। राहुल गांधी के खिलाफ जो टिप्पणी की गई उसे कार्यवाही से हटाने के लिये कहा गया लेकिन उसे नहीं हटाया गया। इस दौरान कांग्रेस के सभी सदस्य अपने अपने स्थान खड़े हो गए।

अध्यक्ष ने इस बीच कहा कि सभापति को निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार होता है। अध्यक्ष से आदेश लेकर सभापति निर्णय नहीं करते हैं। उन्होंने श्री अधीर रंजन को टोकते हुए कहा आप सदन नहीं चलाना चाहते हैं और दो मिनट के अंदर सदन की कार्यवाही बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी।

उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा।