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नईदिल्लीः चंद्रयान-3 पृथ्वी की पांचवीं और अंतिम चक्कर काट रहा है। इसके बाद वह चंद्रमा के इलाके में प्रवेश कर जाएगा। चंद्रयान-3 की गति को बेंगलुरु स्थित इसरो के मुख्यालय से नियंत्रित और संचालित किया जा रहा है। मंगलवार के कक्षा परिवर्तन का अंतिम चरण भी वहीं से संचालित किया गया।
चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा के पांचवें और अंतिम चरण में प्रवेश कर गया। पाँचवाँ कक्षा परिवर्तन सफलतापूर्वक पूरा हुआ। यह कक्षा परिवर्तन मंगलवार दोपहर 2 बजे से 3 बजे के बीच होना था। 2.45 बजे इसरो ने ट्वीट कर सफलता की जानकारी दी। चंद्रयान-3 की गति को बेंगलुरु स्थित इसरो के मुख्यालय से नियंत्रित और संचालित किया जा रहा है। मंगलवार के कक्षा परिवर्तन का अंतिम चरण भी वहीं से संचालित किया गया। इसरो ने कहा, चंद्रयान-3 पांचवीं बार अपनी कक्षा बदलने के बाद 127609 किमी X 236 किमी की कक्षा में पहुंचेगा। अंतरिक्ष यान में अधिक गति संचरण होगा।
चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश की प्रक्रिया 1 अगस्त को पूरी होगी। इसरो का चंद्रयान-3 उस दिन दोपहर 12:00 बजे से 1:00 बजे के बीच चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने वाला है। इसरो ने पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के तहत अंतरिक्ष में चंद्रयान-3 की गति को धीरे-धीरे बढ़ाने के लिए कुल पांच कक्षा परिवर्तन की योजना बनाई।
सभी चरण सफलतापूर्वक पूरे हुए। इससे पहले चंद्रयान-3 ने 15 जुलाई, 16 जुलाई, 18 जुलाई और 20 जुलाई को अपनी कक्षा बदली थी। इस तरह यह धीरे-धीरे कक्षा में पृथ्वी से दूरी बढ़ाता जा रहा है। चंद्रयान-3 की अंतरिक्ष यात्रा अब तक अप्रत्याशित रही है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो चंद्रयान-3 23 या 24 अगस्त को चांद पर पहुंच जाएगा।
अगर इसरो का यह मिशन सफल रहा तो सोवियत संघ, अमेरिका और चीन के बाद चंद्र मिशन की सफलता की सूची से भारत अपना नाम हटा लेगा। चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला वह दुनिया का चौथा देश होगा। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के ‘लॉन्चिंग पैड’ से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। यदि चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह को छूता है और फिर रोवर प्रज्ञान को सफलतापूर्वक लैंड कराता है, तो भारतीय अंतरिक्ष अभियानों का इतिहास एक नया आयाम होगा।