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बाबूलाल की साख को पचा नहीं पा रहे रघुवर दास

  • पिछली सरकार में कड़वा था दोनों का रिश्ता

  • दिखावे के लिए आपस में मिल रहे हैं पर

  • दास के गुट के तेवर से सच्चाई के संकेत

राष्ट्रीय खबर

रांचीः झारखंड भाजपा का हाल काफी कुछ कांग्रेस के जैसा ही हो चुका है। नेताओं ने अपने अपने गुट बना लिये हैं। अब पार्टी का अर्थ इन गुटों का अपना वर्चस्व हो चुका है। इसी वजह से लोकसभा चुनाव के पहले की तैयारियों में भी पार्टी को अंदर से ही बार बार झटका लग रहा है।

यह अलग बात है कि दिखावे के लिए बड़े नेता न सिर्फ एक दूसरे से मिल रहे हैं और एकजुटता का संदेश दे रहे हैं। अंदरखाने में गुटों की बीच की दूरी अब भी कायम है। वैसे इस क्रम में यह बात सबसे अधिक तेजी से उभरी है कि बाबूलाल मरांडी को भाजपा का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने से सबकी अधिक परेशान रघुवर दास का खेमा ही है।

अजीब संयोग है कि जब रघुवर दास मुख्यमंत्री थे तो विरोधी दल के नेता के तौर पर बाबूलाल की बहाली के रास्ते में उन्होंने ही तत्कालीन विधानसभाध्यक्ष के जरिए अड़ंगे लगाये थे। अब दोनों एक दल में है तो वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उसी रघुवर दास फार्मूले को भाजपा पर आजमा रहे हैं। जिस कारण आधिकारिक तौर पर नेता प्रतिपक्ष का फैसला न्यायिक विवादों में फंसा हुआ है। भाजपा के दूसरे नेता भी इस पर खुलकर कुछ नहीं बोल पा रहे हैं क्योंकि यह रास्ता भाजपा का ही बनाया हुआ है।

प्रदेश भाजपा में रघुवर दास काफी समय से आदित्य साहू को आगे बढ़ाने की कवायद में जुटे हैं। अपुष्ट जानकारी के मुताबिक आदित्य साहू का नाम उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भी चतरा सीट के लिए बढ़ाया था। इस वजह से पार्टी के कई शीर्ष नेता उनसे खफा हो गये थे।

दूसरी तरफ पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए आये नेताओं को यह महसूस हो गया था कि मुख्यमंत्री रहते हुए रघुवर दास ने पार्टी कार्यकर्ताओं के एक बहुत बड़े वर्ग को नाराज कर लिया था। ऊपर से सरयू राय द्वारा उठाये गये भ्रष्टाचार के मुद्दे भी पार्टी पर बहुत भारी पड़ गये थे।

उसके बाद से विपक्ष में होने क बाद दीपक प्रकाश को जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। दीपक प्रकाश के कार्यकाल में भाजपा में कमसे कम वह गुटबाजी थोड़ी कम हुई, जिसे रघुवर दास समर्थकों ने बनाया था।

अब लोकसभा चुनाव करीब आने की वजह से आदिवासियों को फिर से अपने पाले में करने की कोशिश में राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। उनकी सक्रियता और रघुवर दास समर्थकों के तेवर से यह भांपा जा सकता है कि श्री मरांडी को मिली इस जिम्मेदारी से रघुवर दास का खेमा खुश नहीं है। भले ही ऊपर से एकता का प्रदर्शन किया जा रहा हो पर अंदर ही अंदर रिश्ते वैसे ही हैं, जैसे रघुवर दास का आजसू प्रमुख सुदेश महतो के साथ है।

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