देश में अभी यह चर्चा का विषय बन गया है कि अब तो टमाटर की कीमत पेट्रोल से भी अधिक हो गयी है। बीच में यह दो सौ रुपये प्रति किलो तक पहुंचा था। लोगों ने घरों में टमाटर का इस्तेमाल थोड़ा कम कर दिया तो कीमतें भी नीचे आयी लेकिन यह अब भी औसतन एक सौ बीस रुपये प्रति किलो पर बिक रहा है।
यह कहा जा सकता है कि भारत में टमाटर की कीमतें अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ गई हैं, जिससे देश भर के नागरिकों पर काफी वित्तीय दबाव पड़ रहा है। कुछ शहरों में, इस आवश्यक सब्जी के साथ साथ दूसरी सब्जियों की कीमतों में भी काफी बढ़ोत्तरी हो गयी है। इससे हर आम और खास के घर का बजट निश्चित तौर पर बिगड़ गया है।
अत्यधिक कीमतों ने जनता में चिंता पैदा कर दी है, जबकि सरकार का कहना है कि यह उछाल एक मौसमी घटना है और अगले 15 दिनों के भीतर कम हो जाएगी। हालाँकि, रिपोर्टों से पता चलता है कि विशाखापत्तनम में टमाटर वर्तमान में आश्चर्यजनक रूप से 160 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा जा रहा है, जो देश में सबसे अधिक है। विभिन्न शहरों में टमाटर की कीमतों पर बारीकी से नजर डालने से इस मुद्दे की गंभीरता का पता चलता है।
बंगाल के सिलीगुड़ी में कीमत 155 रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि उत्तर प्रदेश के मोरादाबाद में कीमत 150 रुपये है। दिल्ली और कोलकाता में क्रमशः 110 और ₹48 रुपये की कीमतें हैं। चेन्नई और मुंबई में कीमतें क्रमशः 60 रुपये प्रति किलोग्राम (उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से) और 58 रुपये प्रति किलोग्राम से थोड़ी कम हैं।
रांची के बाजार में इस लाल रंग की सब्जी के इस तरीके से लाल आंख कर ग्राहकों को देखने के बारे में सब्जी विक्रेताओं ने भी माना कि इस माह के अंत तक नई फसल के आने के बाद कीमतें पूर्ववत हो जाएंगी। लेकिन इन बढ़ती कीमतों का बोझ नागरिकों पर भारी पड़ रहा है। इस बारे में खेत से लेकर सब्जी बाजार तक कारण एक ही बताये गये हैं।
लोगों के मुताबिक इस बार गर्मी के मौसम के अंतिम दिनों में अत्यधिक गर्मी की वजह से सिर्फ टमाटर ही नहीं बल्कि अनेक सब्जियां खेतों में झुलस गयी हैं। आम लोगों में से एक व्यक्ति ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा, सब्जियों की कीमत बहुत बढ़ गई है। टमाटर 150 रुपये प्रति किलोग्राम पर खरीदना पड़ रहा है।
कीमतों में बढ़ोतरी के कारण ग्राहकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसमें सरकारों को हस्तक्षेप करना चाहिए। कई राज्य सरकारों ने त्वरित उपाय के तौर पर ऐसा किया भी है। एक अन्य ग्राहक ने स्थिति की गंभीरता पर प्रकाश डालते हुए टमाटर की कीमत की तुलना पेट्रोल से करते हुए कहा, टमाटर की कीमत हर जगह बढ़ गई है। पेट्रोल अब टमाटर से सस्ता है।
हमारे लिए अब खर्च चलाना बेहद मुश्किल हो गया है। सामने बैठे सब्जी विक्रेता भी आम खबरों से वाकिफ है। वह भी मजाक के लहजे में कहता है कि बस इसी में परेशान हो रहे हैं। बांग्लादेश में तो हरी मिर्च की कीमत बारह सौ रुपये प्रति किलो तक पहुंच गयी थी। भारत से नया माल भेजा गया तब वहां अब भी हरी मिर्च तीन सौ रुपये प्रति किलो बिक रही है।
वैसे उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पूरे भारत में टमाटर की औसत खुदरा कीमत 83.29 रुपये प्रति किलोग्राम है। पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए कार्रवाई की है। सरकार ने अपने खुदरा नेटवर्क सुफल बांग्ला को जनता को उचित मूल्य पर टमाटर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
रिपोर्टों से पता चलता है कि सुफल बांग्ला टमाटर के लिए 115 रुपये प्रति किलोग्राम कीमत ले रहा था। जिससे राज्य में उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिल रही थी। जुलाई के अंत तक 120 किलोग्राम प्रति किलोग्राम कम होने की संभावना है। अब तो हर इलाके में टमाटर की खेती होती है, इसलिए हर इलाके से टमाटर की आवक कम होने के अलग अलग कारण हैं।
झारखंड एवं आस पास के इलाकों में भीषण गर्मी की वजह से फसलों को नुकसान पहुंचा वही आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश और फसलों को भारी नुकसान के कारण कीमतें बढ़ गई। फसल काटने में 60 दिन से लेकर 100 दिन से अधिक का समय लगता है। इसी साठ दिन से एक सौ दिन के पूरे होने पर नई पैदावार के बाजार में आने के बाद भी टमाटर की कीमतों में कमी होगी। अगले 15 से 20 दिनों में कीमतें कम होने की उम्मीद है बाजारों में स्थानीय किस्म के टमाटरों के देरी से आने का एक अन्य कारण मानसून में देरी है।