दीपक नौरंगी
भागलपुरः बिहार के चर्चित आईपीएस अधिकारी अरविंद पांडेय सेवानिवृत्त हो गये। वह डीजी के पद से रिटायर हुए हैं लेकिन इस रैंक के तमाम अधिकारियों को दिया जाने वाला पासिंग परेड की सलामी उन्होंने नहीं ली। इस बारे में उन्होंने खुद आईपीएस अधिकारियों के व्हाट्सएप समूह में इस बारे में निजी कारणों का हवाला देते हुए कहा है कि भविष्य में जब कभी किसी दूसरे वरीय अधिकारी का पासिंग परेड होगा तो वह अवश्य उसमें शामिल होंगे।
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दूसरी तरफ इस एक घटना ने बिहार पुलिस की अंदर की राजनीति को फिर से झकझोर दिया है। चूंकि वह अपनी नौकरी में बिहार और झारखंड के अनेक जिलों में सेवारत रहे हैं। इसलिए इन जिलों में पदस्थापित छोटे बड़े पुलिस वाले भी इस घटना के कारणों की आपस में चर्चा कर रहे हैं।
एक सेवानिवृत्त आईपीएस ने कहा कि निजी कारणों से पासिंग परेड में शामिल होने का कोई औचित्य समझ में नहीं आता है। लेकिन इस एक घटना ने बिहार की सुशासन बाबू की सरकार पर नये सिरे से सवाल खड़े कर दिये हैं। दरअसल अपने सेवाकाल में श्री पांडेय ने कई अवसरों पर सत्तारूढ़ दल के नेताओं के खिलाफ भी बेहिचक कार्रवाई की है।
उनके साथ काम कर चुके कुछ कनीय संवर्ग के अधिकारी मानते हैं कि दरअसल बिहार में उनके साथ जो अन्याय हुआ, वह शायद वह भूल नहीं पाये। राज्य में डीजीपी बनने में सबसे आगे होने के दौरान ही उनके साथ राजनीति हुई। इस कारण 23 साल पुराने मामले में नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार कैडर के सीनियर आईपीएस अधिकारी अरविंद पांडेय के ऊपर बड़ी कार्रवाई की।
अरविंद पांडेय के सैलरी प्रमोशन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया गया है। दो बार के सैलरी इंक्रीमेंट का लाभ अब इन्हें नहीं मिलेगा। मतलब साफ है कि दो बार के वेतन वृद्धि पर राज्य सरकार ने रोक लगा दी है। अरविंद पांडेय को मिल रही वर्तमान सैलरी पर भी सरकार ने कैंची चला दी। दरअसल, यह पूरा मामला 23 साल पुराना है।
उस बिहार और झारखंड एक ही था। साल 1997 में आईपीएस अरविंद पांडेय पलामू जिले के एसपी थे। नक्सलियों ने मनातू के बीडीओ भावनाथ झा की गोली मारकर हत्या कर दी थी। आरोप है कि अरविंद पांडेय ने इस मामले में लापरवाही बरती थी। तभी से उनके खिलाफ डिपार्टमेंटल जांच चल रही थी। अब जाकर सरकार ने कार्रवाई की है। इसके लिए संघ लोक सेवा आयोग की सहमति भी सरकार ने प्राप्त की थी।
कुछ दूसरे लोग कहते हैं कि राज्य में डीजीपी के पद पर आरएस भट्टी के आने के बाद श्री पांडेय उनसे मिलने गये थे तो उन्हें लौटा दिया गया था। यह बात भी शायद उन्हें बहुत नागवार गुजरा था। जिस कारण उन्होंने पुलिस महकमे में मिलने वाले इस सम्मान के पासिंग परेड को भी अस्वीकार कर दिया।