रुख पर इतने सारे पर्दे पड़ गये हैं कि मैंगो मैन तय नहीं पा रहा है कि किस पर्दे को पहले उठाया जाए। वइसे हाल के जंतर मंतर पर चल रहे धरना को ही सबसे पहले लेना चाहिए क्योंकि यह महिला पहलवानों के शोषण से जुड़ा हुआ मामला है। एक बात तो साफ है कि नरेंद्र मोदी ने अपने बारे में जो तिलिस्म गढ़ा था, वह अब धीरे धीरे टूट रहा है।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की बातें सच होती दिख रही हैं कि भ्रष्टाचार से उन्हें कोई खास परहेज नहीं है। वरना एक कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के खिलाफ इतना गंभीर आरोप लगने के बाद भी पुलिस का हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना कोई छोटी बात नहीं हैं। यह ऐसी बातें हैं जो आम जनता यानी मैंगो मैन की अंदर ही अंदर नाराज करती हैं। पहले भी काफी कुछ ऐसा हो चुका है जिसने जनता के मन में मोदी की जो छवि बनी थी या प्रचार के जरिए बनायी गयी थी, उसे ध्वस्त करने का काम किया है।
लेकिन एगो कंफ्यूजन है कि कांग्रेस में भी मोदी भक्त लोग हैं क्या। अइसा इसलिए पूछ रहा हूं कि कर्नाटक के चुनाव में भाजपा को ऑक्सीजन देने का काम तो कांग्रेसी नेताओं का बयान ही कर रहा है। सब कुछ ठीक चल रहा था कि खडगे जी ने अचानक सांप का नाम ले लिया। ऊपर से बजरंग दल पर प्रतिबंध की बात कह दी।
बस मौका मिला तो मोदी जी और दूसरे हिंदू मुसलमान कार्ड खेलने में जुट गये। अब तक मैं समझ नहीं पाया कि आखिर बजरंग दल कैसे बजरंग बली हो गया। लेकिन अब मोदी हैं तो मुमकिन है। भाषण की शुरुआत ही वह बजरंग बली की जय से कर चुके हैं। जो मुद्दा दफन था, उसे कब्र से निकालने का काम तो कांग्रेस ने किया। यह सवाल इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि हिमाचल के नगर निकाय चुनाव में ऐसा कुछ नहीं हुआ तो भाजपा का रिजल्ट सबको दिख गया।
मौका मिला है कि एक नई फिल्म के रिलीज होने का तो उसे भी चुनावी हथियार बनाकर हिंदू मुसलमान किया जा रहा है। देश को जिन पर्दों से अंदर की सच्चाई जाननी है, उस पर तो अपने मोदी जी वाकई मौन धारण किये हुए हैं। राफेल पर भले ही देश में चर्चा नहीं हो लेकिन फ्रांस में जांच जारी है, इसे याद रखना होगा।
ऊपर से हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में विदेश से आये पैसे का हिसाब नहीं मिल पाया है। जेपीसी गठन की मांग पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। दूसरे मुद्दों पर आगे बढ़कर बोलने वाले नरेंद्र मोदी ने अब तक अडाणी, जेपीसी, केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग, महिला पहलवानो के धरने पर कुछ नहीं किया। पेट्रोल, गैस और बेरोजगारी पर तो अब भाजपा वाले बोलने से कतराते हैं।
इसी बात पर एक पुरानी फिल्म मेरे हुजूर का यह गीत याद आने लगा है। इस गीत को लिखा था हसरत जयपुरी ने और संगीत में ढाला था शंकर जयकिशन ने। इसे मोहम्मद रफी ने अपना स्वर दिया था। गीत के बोल कुछ इस तरह हैं।
अपने रुख पे निगाह करने दो
खूबसूरत गुनाह करने दो
रुख से पर्दा हटाओ जान-ए-हया
आज दिल को तबाह करने दो
रुख से जरा नकाब उठा दो, मेरे हुजूर
जल्वा फिर एक बार दिखा दो, मेरे हुजूर
वो मर्मरी से हाथ वो महका हुआ बदन
वो मर्मरी से हाथ वो महका हुआ बदन
टकराया मेरे दिल से, मुहब्बत का एक चमन
मेरे भी दिल का फूल खिला दो, मेरे हुजूर
रुख से जरा नकाब उठा दो, मेरे हुजूर
हुस्न-ओ-जमाल आपका शीशे में देख कर
हुस्न-ओ-जमाल आपका शीशे में देख कर
मदहोश हो चुका हूँ मैं जलवों की राह पर
ग़र हो सके तो होश में ला दो, मेरे हुजूर
रुख से जरा नकाब उठा दो, मेरे हुजूर
तुम हमसफ़र मिले हो मुझे इस हयात में
तुम हमसफ़र मिले हो मुझे इस हयात में
मिल जाए चाँद जैसे कोई सूनी रात में
जागे तुम कहाँ ये बता दो, मेरे हुजूर
रुख से जरा नकाब उठा दो, मेरे हुजूर
अब कहां कहां से नकाब उठे, यह तय कर पाना कठिन होता जा रहा है। अब झारखंड की बात करें तो यहां ईडी जिस तरीके से सीढ़ी दर सीढ़ी ऊपर जा रही है, वह सरकार में बैठे लोगों के लिए भले ही राज हो लेकिन आम जनता को पहले से ही इन तमाम गोरखधंधों की जानकारी थी।
चौक चौराहों पर इन मुद्दों पर अभी से नहीं बल्कि पूर्व की भाजपा सरकार के समय से ही चर्चा होती आयी है। लेकिन यह देखना रोचक होगा कि ईडी की जांच राज्य की एक रिटायर्ड महिला अधिकारी तक कब पहुंचती है। जो कुछ हो रहा है, उसके प्रत्यक्ष और परोक्ष तार तो उसी महिला अधिकारी से जुड़ते हैं। खतरा इस बात का है कि फिर से सरयू भइया कोई नया तोप ना दाग दें। वइसे आज कल वह बन्ना गुप्ता को लेकर बिजी है।