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बड़े भाई विनोद ने कई कंपनियों से रिश्ता तोड़ा

सुप्रीम कोर्ट के जांच के आदेश के बीच ही चुपचाप हुआ खेल

  • बीस हजार करोड़ का मालिक कौनः राहुल

  • हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में नाम आया बार बार

  • ऑस्ट्रेलिया के कारोबार से खुद को अलग किया

राष्ट्रीय खबर

नई दिल्ली: गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी ने गुपचुप तरीके से अडाणी समूह की तीन कंपनियों से इस्तीफा दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले की जांच के आदेश जारी होने के इतने दिनों बाद यह सूचना सार्वजनिक हुई है। दरअसल विदेशी फर्जी कंपनियों ने लाखों करोड़ के निवेश का मुद्दा ही विनोद अडाणी को इस जांच के दायरे में ला चुका था।

इस बीच राहुल गांधी ने फर्जी कंपनियों से अडाणी समूह में आये बीस हजार करोड़ का मालिक कौन, यह सवाल उठा दिया। दरअसल अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च  ने 24 जनवरी को अडानी ग्रुप के बारे में एक निगेटिव रिपोर्ट जारी की थी। इसमें ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी का नाम सबसे ज्यादा बार आया था। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि विदेश में रहने वाले विनोद अडानी ने अडानी ग्रुप में कथित फ्रॉड के लिए ऑफशोर कंपनियों के एक नेटवर्क का इस्तेमाल किया था। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि विनोद अडानी ने फरवरी में तीन कंपनियों के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया था। ये कंपनियां ऑस्ट्रेलिया में अडानी परिवार की कोल माइन से जुड़ी हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। लेकिन अब पता चला है कि इस अदालती आदेश के जारी होने के कुछ दिन पहले ही विनोद अडानी ने तीन कंपनियों के डायरेक्टर पद छोड़ दिया था। इनमें कार्मिकेल रेल एंड पोर्ट सिंगापुर, कार्मिकेल रेल सिंगापुर और एबट पॉइंट टर्मिनल एक्सपेंशन शामिल हैं।

हालांकि वह सिंगापुर स्थित कंपनी एबट पॉइंट पोर्ट होल्डिंग्स के बोर्ड में बने हुए हैं। इस बीच मार्केट रेगुलेटर सेबी इस बात की जांच कर रहा है कि अडानी ग्रुप और विनोद अडानी के बीच हुए कुछ ट्रांजैक्शंस के बारे में सही ढंग से खुलासा किया गया था या नहीं। अडानी ग्रुप के एक प्रतिनिधि ने कहा कि विनोद अडानी ग्रुप की कुछ कंपनियों में शेयरहोल्डर हैं लेकिन कार्मिकेल माइन के विकास या उससे जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर में उनका कोई मैनेजमेंट रोल नहीं है। विनोद अडानी के इस्तीफे के बारे में अडानी ग्रुप ने सवालों का जवाब नहीं दिया। विनोद अडानी ने भी उन्हें ईमेल से भेजे गए सवालों का जवाब नहीं दिया। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि विनोद अडानी ने दर्जनों शेल कंपनियों के जरिए अडानी ग्रुप के अरबों डॉलर को आरपार किया था।

अडानी ग्रुप का कहना है कि विनोद अडानी प्रमोटर ग्रुप का हिस्सा हैं। उसका साथ ही कहना है कि उसने सभी जरूरी डिस्क्लोजर किए हैं। लेकिन ग्रुप उनके बिजनस के बारे में सवालों से बचता रहा है। उसका कहना है कि विनोद अडानी ग्रुप की किसी भी लिस्टेड कंपनी या उनकी सब्सिडियरी कंपनियों के मैनेजमेंट में नहीं है, इसलिए उनके बिजनस से जुड़े सवालों का कोई मतलब नहीं है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि विनोद अडानी का अडानी ग्लोबल के दुबई ऑफिस में एक कैबिन है और वह रोज दो-तीन घंटे इसमें बैठते हैं। लेकिन अडानी ग्रुप के प्रतिनिधि ने कहा कि इस तरह के सवालों का कोई मतलब नहीं है। 74 साल के विनोद अडानी दुबई में एक फैमिली इनवेस्टमेंट ऑफिस चलाते हैं। एक सूची में विनोद अडानी को सबसे अमीर एनआरआई बताया गया था। हाल का वर्षों में वह अडानी ग्रुप के कई बड़े फैसलों में शामिल रहे हैं। इनमें सीमेंट कंपनियों के अधिग्रहण से ग्रीन एनर्जी बिजनस शामिल है।

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