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लिफाफा के साथ राजभवन का सामान भी ले गये रमेश बैस ?

  • राजभवन का खर्च तीन चौथाई कम हुआ

  • एक सलाहकार वह भी बिना भुगतान के

  • जूता पहनाने की परंपरा पर रोक लगी

राष्ट्रीय खबर

रांचीः राजभवन का हाल चाल बदला तो गड़े हुए मुर्दे भी उखड़ने लगे हैं। दरअसल नये राज्यपाल बनकर आये सीपी राधाकृष्णन ने पदभार ग्रहण करने के बाद वहां की कई पुरानी परिपाटियों को ही बदल दिया है। इस वजह से अब राजभवन का सरकारी खर्च भी करीब 75 प्रतिशत तक कम हो गया है।

राज्यपाल अपने और अपने परिवार का खर्च खुद उठाते हैं। पता चला है कि राज्यपाल की पत्नी आर सुमति या उनके परिवार के सदस्य जब भी झारखंड आते हैं तो उनकी हवाई यात्रा का खर्च राज्यपाल खुद उठाते हैं। यहां तक कि एयरपोर्ट से उन्हें लाने के लिए एस्कॉट नहीं, बल्कि सिर्फ एक गाड़ी भेजी जाती है।

राज्यपाल, अपने मोबाइल का खर्च अपने ही वेतन से करते हैं, ऐसी सूचना है। राजभवन में आयोजित पूजा में भी सरकारी नहीं अपना पैसा खर्च किया। खर्च में कटौती होने क दौरान ही धीरे से यह बात निकलकर सामने आयी है कि पूर्व राज्यपाल रमेश बैस झारखंड के राजभवन से कुछ सामान अपने साथ ले गये हैं।

राजभवन ने रमेश बैस को पत्र लिखकर लैपटॉप और मैकबुक लौटाने का आग्रह किया है। पूर्व राज्यपाल के कार्यकाल में डेढ़ दर्जन निजी कर्मचारी रखे गये थे, जिनके वेतन का भुगतान सरकारी खजाने से होता था। इनमें तीन रायपुर, चार दिल्ली और 11 राजभवन में कार्यरत थे।

नये राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने हाल ही में बालागुरु स्वामी को अपना एकेडमिक एडवाइजर नियुक्त किया है। कई विश्वविद्यालयों के वीसी, यूपीएससी के सदस्य और शिक्षा क्षेत्र में कई अहम पदों पर रहे बालागुरु स्वामी इसके लिए कोई वेतन नहीं लेंगे। उन्होंने कहा है कि 10-15 दिनों पर जब भी वे सलाह देने या विश्वविद्यालयों का निरीक्षण करने रांची आएंगे, उनके लिए सिर्फ एक गाड़ी और रहने-खाने की व्यवस्था करा दी जाए।

राज्यपाल बदलने के बाद एक दिन राजभवन में प्रशाखा पदाधिकारी की खोज हुई। कोई नहीं मिला। इस पर राधाकृष्णन ने वहां तैनात पांचों प्रशाखा पदाधिकारियों की सेवा राज्य सरकार को लौटा दी। हालांकि उनकी जगह पांच नए अफसरों की नियुक्ति कर दी गई है। सारे कुक और सुरक्षा में तैनात डीएसपी व स्पेशल ब्रांच के सभी पुलिस अधिकारी भी बदल दिए गए हैं।

नये राज्यपाल ने आते ही राज्यपाल को जूता पहनाने की परंपरा को भी रोक दिया है। दरअसल राजभवन में राज्यपालों को जूता पहनाने की परंपरा रही है लेकिन, राधाकृष्णन ने आते ही सख्त आदेश जारी कर दिया। कहा- अगर किसी ने उनका जूता उठाया तो निलंबित हो जाएंगे।

झारखंड के पूर्व राज्यपाल रमेश बैस महाराष्ट्र के गवर्नर बनाये जाने के बाद 17 फरवरी को महाराष्ट्र चले गये हैं। राजनीतिक तौर पर तब उनके पास चुनाव आयोग से आया वह लिफाफा था, जो बकौल बैस चिपका गया था। अब पता चल रहा है कि वह सिर्फ चिपका हुआ लिफाफा ही नहीं बल्कि कुछ और भी रांची के राजभवन से ले गये हैं।

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