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आईपीएस अमित लोढ़ा की मुश्किलें बढ़ेगी या होगी कम

  • फिल्म के बनने के बाद से लगे हैं कई आरोप

  • उनकी कार्यशैली पर भी विभाग में उठे सवाल

  • अब सुप्रीम कोर्ट तक जायेगा यह चर्चित मामला

दीपक नौरंगी

पटना: बिहार के एक चर्चित आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा के साथ इन दिनों कई तरह की चर्चाएं होती दिख रही है और माननीय उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को रद्द कर दिया है। नेटफ्लिक्स की वेबसीरिज खाकी से सुर्खियों में आए आईपीएस अमित लोढ़ा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। आईपीएस अमित लोढ़ा पर वेबसीरिज के जरिए ब्लैकमनी को व्हाइट मनी करने का गंभीर आरोप है। कुछ दिन पहले उनके मामले पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने अमित लोढ़ा के खिलाफ दर्ज एफ आई आर को रद्द करने से इनकार कर दिया। बताया जाता है कि आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा अब माननीय उच्चतम न्यायालय में जाने की तैयारी कर चुके हैं।

पूरे हिंदुस्तान में आईपीएस अमित लोढ़ा और उनकी फिल्म की चर्चाएं चारों तरफ हो रही है पुलिस महकमे में प्रशासनिक आला अधिकारी में आम व्यक्ति भी इनकी फिल्म देख रहे हैं। इसका सीधा फायदा आईपीएस अमित लोढ़ा को हो रहा है। आईपीएस अमित लोढ़ा वेब सीरीज खाकी के बाद सुर्खियों में आए थे।

मगध क्षेत्र के पूर्व आईजी अमित लोढ़ा पर विशेष निगरानी इकाई ने केस दर्ज किया था। अमित लोढ़ा के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण निरोध अधिनियम एफ आई आर की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था। आरोप है कि अमित लोढ़ा ने वेब सीरीज और फिल्म कंपनियों के माध्यम से अपनी काली कमाई को सफेद करने का काम किया है। अब देखना है कि आने वाले दिनों में क्या आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा की मुश्किलें बढ़ती है या कम होती है।

फिल्म प्रोडक्शन के नाम पर लोढ़ा ने एक बहुत बड़ी रकम अपनी पत्नी समेत अन्य लोगों के बैंक खातों में ट्रांसफर कराए। ताकि यह दिखाया जा सके कि इन्हें और इनकी पत्नी को वेब सीरीज बनाने की एवज में पैसे मिले हैं। नवंबर 2018 से फरवरी 2022 के बीच कई समझौते किए गए। बड़े प्रशासनिक अधिकारियों में यह चर्चा है कि करोड़ों रुपए से अधिक की राशि इन कंपनियों के खाते से ट्रांसफर किए गए। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में बिहार में नीतीश कुमार के सुशासन वाली सरकार अमित लोढ़ा के प्रति अपनी सहानुभूति दिखाती है या फिर इनको कानूनी शिकंजे में लेती है।

कार्यशैली की चर्चा केंद्रीय जांच एजेंसी के अधिकारियों में भी

गया के पूर्व आईजी अमित लोढ़ा के मामले में चर्चाएं चारों तरफ है। बताया जाता है कि केंद्रीय जांच एजेंसी के बड़े अधिकारी भी आईपीएस अमित लोढ़ा की कार्यशैली को लेकर अचंभित है। लेकिन सवाल यह उठता है कि देश में बैठी बड़ी जांच एजेंसी क्या सिर्फ राजनीतिक पार्टियों के इशारे पर ही जांच करती है या फिर ऐसे मामलों में।

जहां गया में एक व्यक्ति इसका जन्म पाकिस्तान में हुआ है, उस मामले में एडीजी अनिल किशोर यादव ने एक जांच प्रतिवेदन पुलिस मुख्यालय को सौंपा था। आखिर जिस व्यक्ति का जन्म पाकिस्तान में हुआ है वह कैसे गया आया और उसके आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा से कैसे तालुकात रहे हैं, कई अहम बिंदुओं पर केंद्रीय जांच एजेंसी बड़े अधिकारी चाहेंगे तो इन बिंदुओं पर जांच कर सकते हैं।

लेकिन आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा और उनकी फिल्म और पर जो जांच आर्थिक अपराध इकाई टीम ने की है। ऐसे कई महत्वपूर्ण जांच रिपोर्ट पर केंद्रीय जांच एजेंसी को उन जांच रिपोर्टों का अध्ययन करना चाहिए लेकिन कहीं ना कहीं अमित लोढ़ा प्रभावशाली आईपीएस के रूप में इनकी एक अलग पहचान है। चर्चा है कि बिहार सरकार के करीबी मंत्री उनको बचाने के लिए हर एक प्रयास कर रहे हैं लेकिन अंतिम निर्णय बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेना है। अब देखना यह है कि मामला माननीय उच्चतम न्यायालय में जाता है वहां से आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा को राहत की सांस मिलती है या नहीं।

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