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प्रकृति और मानवता के बीच पवित्र संबंध
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पार्क की सफारी का आनंद भी लिया उन्होंने
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सूखोई विमान से उड़ान भरने का भी प्रोग्राम
भूपेन गोस्वामी
गुवाहाटी: तीन दिवसीय दौरे पर असम पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू । आज मुर्मू ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में गज उत्सव-2023 का उद्घाटन किया।इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि प्रकृति और मानवता के बीच एक बहुत ही पवित्र संबंध है। प्रकृति का सम्मान करने की संस्कृति हमारे देश की पहचान रही है।
भारत में प्रकृति और संस्कृति को एक-दूसरे से जोड़ा गया है और एक-दूसरे से पोषण प्राप्त होता रहा है। हमारी परंपरा में हाथियों का सबसे ज्यादा सम्मान किया गया है। इसे समृद्धि का प्रतीक माना गया है। यह भारत का राष्ट्रीय विरासत पशु है। इसलिए हाथियों की रक्षा करना हमारी राष्ट्रीय विरासत को संरक्षित करने की हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
मुर्मू ने कहा है कि अगर गहराई से विचार किया जाए तो, यह स्पष्ट होता है कि जो कार्य प्रकृति और पशु-पक्षियों के लिए हितकारी है, वह मानवता के भी हित में है। धरती माता के हित में भी है। हाथियों के संरक्षण से सभी देशवासियों को लाभ होगा। साथ ही क्लाइमेंट की चुनौतियों का सामना करने में भी सहायक सिद्ध होंगे।
ऐसे प्रयासों में सरकार के साथ-साथ समाज की भी भागीदारी है। प्रकृति और मानवता के बीच एक बहुत पवित्र रिश्ता है। यह रिश्ता ग्रामीणों और आदिवासी समाज में आज भी दिखाई देती है। उन्होंने कहा, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित प्रोजेक्ट एलिफेंट के तीस वर्ष पूरे हो रहे हैं। गजोत्सव-23 का उद्घाटन करते हुए मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।
हाथियों की सुक्षा करना, उनके प्राकृतिक आवास को बनाए रखना और एलिफेंट कॉरिडोर को बाधा रहित रखना इस प्रोजेक्ट के मुख्य उद्देश्य हैं। साथ ही मानव और हाथी के बीच संघर्ष से जुड़ीं समस्याओं का समाधान करना इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य भी है और चुनौती भी है। ये सभी उद्देश्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
मानव और हाथियों का संघर्ष सदियों से एक मुद्दा बना हुआ है। उन्होंने कहा प्रचीन कवि त्रिपुरारी पाल के लेख का उल्लेख करते हुए कहा, उन्होंने लिखा है कि हाथियों को बंधन में बांधकर मानव को अपने को बुद्धिमद्धता का गर्व नहीं करना चाहिए। यह तो हाथी का शांत और विनयशील स्वाभाव है कि वह बंधन को स्वीकार कर रहा है।
अगर वह क्रोध में आकर अपनी विनयशीलता को छोड़ दे, तो वह सब कुछ तहस-नहस कर सकता है। उन्होंने हाथियों के संरक्षण के लिए बनी डाक्यूमेंट्री फिल्म का भी जिक्र किया।उन्होंने कहा, हमारे समाज में प्रकृति की संस्कृति एक दूसरे से जुड़ी रही है। हमारी परंपरा में हाथी यानि गजराज सबसे अधिक सम्मानित रहे हैं।
पूजा में सबसे पहले गजानंद की पूजा सबसे पहले होती है। उन्होंने कहा, हाथी को हमारे देश में समृद्धि का प्रतीक भी माना गया है। हाथी को हमारे देश में नेशनल हैरिटेज एनिमल का स्थान दिया गया है। हाथी की रक्षा करना हमारा दायित्व है। हाथी को बहुत बुद्धिमान और संवेदनशील माना जाता है। हाथी भी मनुष्य की तरह एक सामाजिक प्राणी है।
वह परिवार के साथ और समूह में रहता है। अगर वह परिवार से बिछड़ जाता है, तो वह परेशान हो जाता है। अगर कोई हाथी अपने समूह से बिछड़ जाए तो कोशिश करें कि उसे उसके समूह से मिलावाएं। अगर संभव नहीं हो तो उसका पालन अपने बच्चों की तरह करें।
इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का बोकाखाट में राज्य के वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों ने राष्ट्रपति का स्वागत किया। यहां उन्होंने बागोरी रेंज में जीप सफारी की। अधिकारियों ने बताया कि असम दौरे के दूसरे दिन शुक्रवार सुबह काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में जीप सफारी का आनंद लिया। साथ ही वह मिहिमुख प्वाइंट से पार्क के अंदर गईं। वहां उन्होंने अन्य जानवरों के अलावा एक सींग वाले गैंडे, जंगली भैंस, हिरण और पक्षियों को देखा। इतना ही नहीं राष्ट्रपति ने पार्क के अंदर हाथियों को खाना भी खिलाया।
राष्ट्रपति शुक्रवार दोपहर में गुवाहाटी के लिए रवाना हो जाएंगी, जहां वह माउंट कंचनजंगा अभियान-2023 को हरी झंडी दिखाएंगी। साथ ही शाम को गौहाटी उच्च न्यायालय के प्लेटिनम जयंती समारोह में भाग लेंगी। असम यात्रा के तीसरे और अंतिम दिन यानी शनिवार को राष्ट्रपति तेजपुर का दौरा करेंगी। यहां वह वायुसेना केंद्र से सुखोई 30 लड़ाकू विमान में उड़ान भरेंगी। इससे पहले 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने अग्रिम मोर्चे के लड़ाकू विमान में उड़ान भर चुकी हैं।
गौरतलब है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू गुरुवार से तीन दिवसीय असम दौरे गुरुवार दोपहर बाद असम पहुंची हैं। हवाई अड्डे पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उनका स्वागत किया था। राष्ट्रपति की अगवानी के लिए राज्यापल गुलाब चंद कटारिया भी हवाई अड्डे पर मौजूद रहे।