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आइबी के एडीजी का एक दिवसीय भागलपुर दौरा

  • वरीय अधिकारियों के साथ की अहम बैठक

  • एमएस नारंग और भट्टी एक इलाके के हैं

  • शायद अवैध हथियारों पर चर्चा हुई होगी

दीपक नौरंगी

भागलपुर: आईबी के एडिशनल डायरेक्टर 26 मई को बजे दोपहर सरकारी गेस्ट हाउस पहुंचते हैं और करीब चार बजे वहां से वापस लौट जाते हैं। बताया जाता है कि जमुई जिला के बाद बांका जिला में आईबी के एडिशनल डायरेक्टर मनजीत सिंह नारंग रात्रि विश्राम बांका में करते हैं । फिर बांका एसपी के साथ भागलपुर पहुंचकर रेंज के डीआईजी विवेकानंद और सीनियर एसपी आनंद कुमार के साथ औपचारिक मुलाकात करते हैं।

अपने विभाग के डीएसपी सहित कई अन्य अधिकारियों से कई गंभीर मुद्दों पर विचार विमर्श किए होंगे। बताया जाता है कि बिहार के वर्तमान डीजीपी आर एस भट्टी 1990 बैच के आईपीएस है और पंजाब के रहने वाले हैं। उसी तरह आइबी के एडिशनल डायरेक्टर 1994 बैच के आईपीएस है और यह भी पंजाब के रहने वाले हैं।

बिहार के वर्तमान डीजीपी और आईबी के डायरेक्टर के बीच मधुर संबंध की चर्चा केंद्रीय जांच एजेंसी के अधिकारियों में होती रहती है। बताया जाता है कि आईबी के एडिशनल डायरेक्टर ने कई महीने पहले पदभार ग्रहण किया है। इसीलिए स्थानीय पुलिस पदाधिकारी से औपचारिक मुलाकात और अपने विभाग के कार्यालय और अपने अधीनस्थ अधिकारियों से औपचारिक मुलाकात भी की।

अचानक 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी आईबी के एडीशनल डायरेक्टर मनमीत सिंह नारंग के जमुई और बांका और भागलपुर दौरे से कई तरह के सवाल उठना तो लाजमी है। आईबी के एडिशनल डायरेक्टर बिना कोई कार्य के किसी राज्य या जिले का दौरा जल्दी नहीं करते हैं।

इनके बारे में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात आईपीएसओ का निजी विचार है कि यह एक गंभीर आईपीएस अधिकारी है। बिना किसी कार्य के यह किसी भी जिले जाने वाले आईपीएस अधिकारी में नहीं है। इसलिए चर्चा का बाजार गर्म हो गया है। अनुमान लगाया जाता है कि चूंकि उत्तर प्रदेश के गैंगस्टरों की पहली पसंद बिहार में निर्मित छोटा हथियार है।

इसी हथियार के दम पर ये गैंगस्टर बड़ी-बड़ी घटनाओं को अंजाम देते हैं। हथियार निर्माण के लिए बदनाम रहा मुंगेर जिला पर जब से केंद्रीय जांच एजेंसी की नजर पड़ी है तब से वहां के कारीगर ने बांका, भागलपुर और झारखंड के कई इलाकों को अपना कार्यक्षेत्र बना लिया है। इन इलाकों में नक्सली गतिविधि भी पहले से रही है।

सूत्रों पर विश्वास करें तो अब प्रतिबंधित संगठन पीएफआइ भी कुछ खास क्षेत्रों में अपनी जड़े जमा रहा है।बांका, जमुई, लखीसराय और मुंगेर में पहले से ही नक्सलियों की सक्रियता रही है। केंद्रीय सुरक्षा बल की सक्रियता की वजह से इस इलाके में नक्सलियों की गतिविधि अब थोड़ी कम हुई है। फिर से नक्सली अपनी जड़ें जमाने में लगे हैं।

भागलपुर पहुंचे आइबी के एडीजी ने नक्सली गतिविधि की पूरी जानकारी वरीय पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में ली। इस बैठक में इस बात की भी चर्चा की गई की होगी की उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर भागलपुर, बांका और दुमका में मुंगेर के कारीगरों के द्वारा बनाए गए पिस्टल को आसानी से प्राप्त कर लेते हैं।

शायद आइबी के अधिकारी ने इस बात की भी आशंका जाहिर कि हो कि अवैध हथियार के निर्माण से होने वाले आय का एक बड़ा हिस्सा नक्सलियों के पास जाता है। प्रतिबंधित संगठन पीएफआइ से जुड़े लोग भी भारी मात्रा में अवैध हथियार खरीद कर उत्तर प्रदेश भेज रहे हैं।

इनकी मंशा यह है कि उत्तर प्रदेश में हिंसा की घटनाओं को तेजी से फैलाई जाए। यह इनपुट आइबी के अधिकारियों को यूपी में पकड़े गए अपराधियों से मिली है। इस बैठक में आइबी के एडीजी मनजीत सिंह नारंग मौजूद थे। ढाई घंटे तक चली इस बैठक में दो एसपी और एक डीआइजी मौजूद थे। अनुमान लगाया जाता है कि इस

बैठक में हथियार और विस्फोटक को लेकर गहन चर्चा हुई। बैठक में मौजूद अधिकारियों का कहना था कि नक्सली संगठन, पीएफआइ या फिर यूपी, पंजाब के गैंगस्टरों को हथियार और विस्फोटक की आपूर्ति बिहार व झारखंड से ही की जाती है। नक्सलियों और प्रतिबंधित संगठनों को हथियार और विस्फोटक मुहैया कराने का स्रोत एक ही है। ऐसे लोगों पर कड़ी निगाह रखने की बात कही गई।

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