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तीस साल में कांके डैम पर अनेक निर्देश
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बड़ा तालाब का सर्वाधिक अतिक्रमण कहां
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गूगल अर्थ से दिखता है सारा इतिहास
राष्ट्रीय खबर
रांचीः रांची नगर निगम फिर से अपनी पुरानी लीपापोती के कारोबार में जुट गये हैं। दरअसल झारखंड उच्च न्यायालय ने रांची नगर निगम को राज्य की राजधानी में जल निकायों की संख्या और उनकी स्थिति के बारे में विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने रांची झील और धुर्वा और कांके बांधों से अतिक्रमण हटाने की मांग वाली एक जनहित याचिका में निर्देश पारित किया।
झारखंड उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद, रांची नगर निगम (आरएमसी) ने 90 इमारतों के मालिकों को नोटिस जारी किया है, जिन्होंने शहर के कांके बांध और रांची झील के जलग्रहण क्षेत्रों पर अतिक्रमण किया है और उनसे पूछा है एक पखवाड़े के भीतर ढांचों को गिराना है।
एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, अदालत ने हाल ही में आरएमसी को शहर के जल निकायों के जलग्रहण क्षेत्रों से अतिक्रमण हटाने के लिए कहा था। आरएमसी के अतिरिक्त नगर आयुक्त कुंवर सिंह पाहन ने कहा कि आरएमसी के एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, कांके बांध और रांची झील के आसपास के इलाकों में 90 इमारतों को विध्वंस के लिए चिन्हित किया गया है और उन्हें नोटिस दिया गया है।
इन भवनों के मालिकों को कहा गया है कि वे इन ढांचों को खुद ही गिरा दें अन्यथा उन्हें आरएमसी द्वारा ढहा दिया जाएगा और लागत मालिकों से वसूल की जाएगी। बता दें कि कांके डैम के जलग्रहण क्षेत्र से निर्माण हटाने का यह कोई पहला आदेश नहीं है। पिछले तीन दशक से इस पर समय समय पर निर्देश आते रहे हैं। मजेदार स्थिति यह है कि हर बार जलागारों के बाहरी इलाके में बने भवनों को तोड़ने की सीमा घटती चली जाती है। इस बीच चंद इमारतों को तोड़ने के बाद अभियान को पूरा हुआ मान लिया जाता है।
दूसरी तरफ आरएमसी के नोटिसों ने इन भवनों के मालिकों को नाराज कर दिया है, जो अब नोटिस को अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। “हम जमीन के मालिक हैं, और हमारे पास इमारत के सभी वैध कागजात हैं। यह हमारी संपत्ति है और इसका अतिक्रमण नहीं किया गया है, हम इसे खाली नहीं करेंगे। इसके बजाय, हम उच्च न्यायालय में अपील दायर करेंगे क्योंकि आरएमसी का सर्वेक्षण त्रुटिपूर्ण था, ऐसा एक स्कूटी शोरूम के मालिक मोहम्मद सादिक ने कहा। उनके शो रूम पर अभी किराया देना है का नोटिस चिपका हुआ है।
वैसे बड़ा तालाब के दक्षिण पूर्व के इलाके से गुजरने वालों को पता चलता है कि शायद इस तालाब का इस इलाके का पानी पूरी तरह सड़ चुका है अथवा तालाब में गंदे जल की आमद सामने के किसी भवन से हो रही है। वहां से गुजरने पर मल की बदबू आती है। इसी छोर पर तालाब में कचड़ा भी एकत्रित है, जिसे साफ करने में दो चार मजदूर दिख जाते हैं। जो प्रवासी पक्षी इस तालाब में कुछ वर्षों से आने लगे हैं, वे तालाब के दूसरे हिस्से की तरफ चले जाते हैं। वैस इन पक्षियों को मार्च के अंत तक ही यहां से चले जाना था। यह पहला मौका है जब वे झूंड में अप्रैल माह तक जमे हुए हैं।