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रांची: राजधानी में अभी भीषण लू जैसे हालत है। इस दौरान शहर के बच्चों के अस्पताल में अधिक बच्चे पहुंच रहे हैं। इसका हाल जानकर कई चिकित्सा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बच्चों को गर्मी से बचाने का पर्याप्त प्रबंध किया जाना चाहिए। अस्पताल पहुंच रहे बच्चों की स्थिति के आधार पर यह पाया गया है कि उन्हें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं, गंभीर निर्जलीकरण, मतली, त्वचा पर चकत्ते और बुखार की शिकायत वाले कई बच्चे मिल रहे हैं।
इसका एक मुख्य कारण गर्मी का तनाव हो सकता है। मौसम विभाग द्वारा जल्द ही गर्मी से राहत नहीं मिलने की चेतावनी के साथ, डॉक्टरों ने कहा है कि माता-पिता के साथ-साथ स्कूलों को भी एहतियाती कदम उठाने की जरूरत है। ज्यादातर बच्चे सिरदर्द, पेट की परेशानी, बुखार, चक्कर आना, निर्जलीकरण की शिकायत लेकर डाक्टरों के पास अपने अभिभावकों के साथ आ रहे हैं।
यह सभी गर्मी से होने वाली थकान के लक्षण हैं। इस साल मार्च अंत से ऐसे मामले आने शुरू हो गए हैं। हालांकि, अप्रैल की शुरुआत में नए शैक्षणिक सत्र के लिए स्कूल फिर से खुल गए, मामलों की संख्या कई गुना बढ़ गई। निर्जलीकरण या नमक की कमी से गर्मी की थकावट हो सकती है।
चिकित्सकों ने सलाह दी है कि हर माता-पिता को बच्चों में बार-बार सिरदर्द, निर्जलीकरण, चिड़चिड़ापन और पेशाब में कमी जैसे लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए। डॉक्टरों ने कहा कि जो लोग बाहर बहुत समय बिताते हैं उन्हें बहुत सारे तरल पदार्थ पीने की जरूरत होती है। डॉक्टर माता-पिता को यह सुनिश्चित करने की सलाह देते हैं कि उनके बच्चे छाता लेकर, टोपी पहने, हल्के और ढीले ढाले कपड़े पहनें।
बच्चों को ढेर सारे तरल पदार्थ, फल और जरूरत पड़ने पर ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ओआरएस) का सेवन करना चाहिए। डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि इन उपायों से बच्चों को हाइड्रेटेड रहने में मदद मिलेगी। निजी अस्पतालों के ओपीडी में भी प्रतिदिन 10 से अधिक बच्चे और युवा गर्मी से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। इनमें कई को अस्पताल में भर्ती भी कराना पड़ा है।