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इंसानी पहचान का रिकार्ड होता है इसमें
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गलत जुड़ाव से बीमारियां पैदा होती हैं
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इसे जेनेटिक विधि से सुधारने का प्रयोग
राष्ट्रीय खबर
रांचीः इंसानी शरीर की आंतरिक पहचान और उसमें पुरखों की पहचान दरअसल डीएनए में ही छिपी होती है। आज के दौर पर संतान का पिता कौन, इसे तय करने पर विवाद होने पर भी इसी डीएनए जांच का सहारा लिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि यह डीएनए एक विज्ञापन सम्मत साक्ष्य के तौर पर स्थापित हो चुका है।
अब डीएनए में ऐसी खोज की गयी है जो इसके आगे भी दुनिया को ले जाने में सक्षम है। मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन के शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक ऐसी खोज की है जो चिकित्सीय जीन संपादन रणनीतियों, कैंसर निदान और चिकित्सा और जैव प्रौद्योगिकी में अन्य प्रगति के लिए आधार बन सकती है।
वहां के कॉलेज ऑफ वेटनरी के प्रोफेसर कैथी मीक और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के सहयोगियों ने पहले के डीएनए के उस अज्ञात पहलू को उजागर किया है कि कैसे डीएनए डबल-स्ट्रैंडेड ब्रेक की मरम्मत की जाती है।
डीएनए-पीके नामक एक प्रोटीन डीएनए की मरम्मत प्रक्रिया शुरू करता है। शोध दल की नई रिपोर्ट में, दो अलग-अलग डीएनए-पीके प्रोटीन परिसरों की विशेषता बतायी गयी है। इनमें से प्रत्येक की डीएनए की मरम्मत में एक विशिष्ट भूमिका है जिसे दूसरे द्वारा ग्रहण नहीं किया जा सकता है।
मीक ने कहा मुझे नहीं लगता कि किसी ने इसकी भविष्यवाणी की होगी। मीक के इस निष्कर्ष मॉलिक्यूलर सेल में प्रकाशित किया गया है। डीएनए, जीवन का खाका, है। हालांकि, डीएनए को नुकसान पहुंचाना आश्चर्यजनक रूप से आसान है। उदाहरण के लिए, पराबैंगनी प्रकाश, और आयनीकरण विकिरण और अन्य विशिष्ट दवाओं सहित कई कैंसर उपचार सभी डीएनए को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
कभी-कभी, दो आपस में गूंथे इस डीएनए में केवल एक हिस्सा टूटता है। क्योंकि डीएनए अभी भी दूसरे हिस्से द्वारा एक साथ बाद में जुड़ जाता है। इसी वजह से कोशिकाएं डीएनए की काफी आसानी से मरम्मत कर सकती हैं लेकिन कई बार यह जुड़ाव गलत स्थान पर होने की वजह से डीएनए में विसंगतियां उत्पन्न हो जाती है।
जब दोनों हिस्से टूट जाती हैं तो कोशिकाओं के लिए डीएनए क्षति की मरम्मत करना अधिक कठिन होता है। दरअसल अति सुक्ष्म न्यूक्लियोटाइड्स के रूप में वहां संरक्षित सूचनाएं भी खो जाती है। इसलिए माना जाता है कि जानकारी खोने से पहले इसे वापस जोड़ा जाना चाहिए।
यदि एक कोशिका में कई डीएनए डबल-स्ट्रैंडेड ब्रेक होते हैं, तो डीएनए के सिरे गलत हिस्से के साथ जुड़ सकते हैं। इस तरह की गलती अक्सर कई तरह के कैंसर से जुड़ी होती है। यह पाया गया है कि यदि डीएनए-हानिकारक एजेंट डीएनए सिरों पर रासायनिक संशोधन का कारण बनते हैं तो डबल-स्ट्रैंडेड ब्रेक की मरम्मत करना भी अधिक कठिन हो सकता है।
क्षतिग्रस्त डीएनए सिरों को अक्सर गंदे सिरों के रूप में उल्लेखित किया जाता है। यह डीएनए का सिरा दो तरीकों में से एक में डीएनए डबल-स्ट्रैंडेड ब्रेक की मरम्मत में मदद कर सकता है। लापता जानकारी के साथ विराम के लिए, यह उन एंजाइमों को लक्षित कर सकता है जो लापता न्यूक्लियोटाइड्स को भर सकते हैं।
यह कुछ वैसा ही है जैसे एक सुई और धागे की तरह डीएनए को वापस एक साथ सिलाई करना। गंदे सिरों के लिए, डीएनए-पीके उन एंजाइमों की भर्ती करता है जो क्षतिग्रस्त डीएनए को काट सकते हैं ताकि सिरों को फिर से जोड़ा जा सके। यह पहले से ही ज्ञात था, लेकिन वैज्ञानिक साहित्य में एक महत्वपूर्ण प्रश्न अनुत्तरित रहा कि अब तक डीएनए-पीके को कैसे पता चलता है कि डबल-स्ट्रैंडेड ब्रेक पर सिरों को भरना या काटना है या नहीं?
मीक की टीम और उनके सहयोगियों ने पहले संरचनात्मक अध्ययन प्रकाशित किए थे जिसमें दो अलग-अलग डीएनए-पीके परिसरों का पता चला था, जिन्हें डिमर्स कहा जाता है।
जबकि कई आणविक आनुवंशिकीविदों को पहले से ही संदेह था कि डीएनए-पीके डीएनए को फिर से जुड़ने की प्रक्रिया के दौरान एक साथ रखने में मदद करता है, कई लोग सोचते हैं कि केवल एक के बजाय दो डिमर क्यों होंगे।
अपने नए अध्ययन में, मीक और उनके सहयोगियों ने पाया कि दो अलग-अलग डीएनए-पीके डिमर्स के अलग-अलग कार्य हैं। एक कॉम्प्लेक्स उन एंजाइमों की भर्ती करता है जो खोई हुई जानकारी को भरते हैं, जबकि दूसरा काटने वाले एंजाइमों को सक्रिय करता है जो गंदे सिरों को हटाते हैं।
टीम ने यह भी पाया कि मरम्मत प्रभावकारिता दो डिमर के बीच संतुलन पर निर्भर करती है।इस शोध से अब डीएनए आधारित अनुवांशिक रोगों के ईलाज के अलावा जैव प्रोद्योगिकी में भी इस जानकारी के आधार पर नये जेनेटिक विज्ञान आधारित शोध किये जा सकते हैं। दरअसल इस शोध दल ने एक नया रास्ता खोल दिया है। जिससे कई समाधान निकल सकते हैं।