राष्ट्रीय खबर
कोलकाताः अंडमन और निकोबार द्वीप समूह के इलाके में आसमान पर जनवरी में एक बहुत बड़ा गोला उड़ता हुआ दिखाई पड़ा था। लोगों ने इसे देखा था तो लोगों ने इसे मौसम विज्ञान संबंधी गुब्बारा मानकर अधिक ध्यान नहीं दिया।
अब अमेरिका द्वारा ऐसे ही गुब्बारों को मार गिराये जाने के बाद चार लाख तीस हजार की आबादी वाले इस इलाके में फिर से उस बैलून की चर्चा होने लगी है। लोग आपस में इस बात की चर्चा कर रहे हैं कि इस इलाके के अनेक निर्जन और अलग थलग रहने वाले प्राचीन आदिवासी समूहों की आबादी के इलाके के ऊपर उड़ता हुआ यह गुब्बारा दरअसल जासूसी करने तो नहीं आया था।
स्थानीय मीडिया ने बताया कि जनता के सैकड़ों सदस्यों ने अजीब वस्तु देखी, जो पूर्णिमा के चांद की तरह दिखती थी, और यह अनुमान लगाने के लिए उत्सुक थी कि यह क्या है। लेकिन कई लोगों की अनुमान सूची में काफी ऊंचाई पर उड़ रहा यह गुब्बारा शायद मौसम की जानकारी लेने वाला तो नहीं था।
कई लोगों ने पहले कहा था कि यह एक मौसम का गुब्बारा थाष इस सफेद आकार के गुब्बारे के आकार, ऊंचाई और तस्वीरों के आधार पर संभावना को नकारते हुए उसमें लटके आठ काले रंग के पैनलों की चर्चा होने लगी है जो लोगों को नीचे से ही दिख रहे थे।
अब कहा जा रहा है कि पोर्ट ब्लेयर शहर के ऊपर अज्ञात उड़ने वाली वस्तु जिज्ञासा और अफवाह को बढ़ा रही है। यह सवाल स्थानीय स्तर पर किया जाने लगा है कि अति उन्नत उपग्रहों के इस युग में, जासूसी करने के लिए उड़ने वाली वस्तु का उपयोग कौन करेगा?
विशेषज्ञों का कहना है कि इस सवाल ने इस महीने अधिक प्रतिध्वनित किया है, जब संयुक्त राज्य अमेरिका ने एक संदिग्ध चीनी निगरानी गुब्बारे को मार गिराया।
इस बीच जापान ने कहा कि यह दृढ़ता से माना है कि नवंबर 2019 और सितंबर 2021 के बीच उसके हवाई क्षेत्र में पाए गए तीन गुब्बारे के आकार की उड़ने वाली वस्तुएं चीन द्वारा उड़ाए गए “मानव रहित टोही” विमान थे। लेकिन भारत – जो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का प्रशासन करता है – भारतीय मीडिया द्वारा सवाल उठाए जाने के बावजूद स्पष्ट रूप से चुप रहा है।
इस बीच चीन ने बैलून सर्विलांस प्रोग्राम चलाने से इनकार किया है। बीजिंग ने कहा कि चीन एक जिम्मेदार देश है जो अंतरराष्ट्रीय कानून का सख्ती से पालन करता है और सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है।