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नागपुरः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय तथा भाजपा के गढ़ माने जाने वाले नागपुर में विधान परिषद का चुनाव परिणाम उल्टा निकला है। इस चुनाव में महाविकास अघाड़ी का प्रत्याशी विजयी हुआ है।
इससे कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र में भाजपा को अपने सबसे प्रमुख गढ़ों में से एक में करारा झटका लगा है। इस परिणाम को वैचारिक संगठन आरएसएस के मुख्यालय और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी व उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के गृह क्षेत्र में भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
शिवसेना के असंतुष्ट एकनाथ शिंदे के उद्धव ठाकरे को हटाकर जून माह में भाजपा के साथ सरकार बनाने के बाद राज्य में हुए इस चुनाव में नागपुर टीचर्स सीट पर एमवीए के सुधाकर अदबले ने भाजपा समर्थित नागो गनार पर जीत दर्ज की।
राज्य विधानमंडल के उच्च सदन के लिए द्विवार्षिक चुनाव मुख्य रूप से भाजपा और एकनाथ शिंदे के शिवसेना गुट के सत्तारूढ़ गठजोड़ और उद्धव ठाकरे के शिवसेना खेमे, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) वाले एमवीए समर्थित उम्मीदवारों के बीच थे।
पांच परिषद सदस्यों का 6 साल का कार्यकाल, इसमें शिक्षकों से तीन और स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों से दो शामिल हैं, 7 फरवरी को समाप्त हो रहा है और इसके लिए सोमवार को वोटिंग हुई थी।
कुछ मानदंडों को पूरा करने वाले और वोटर्स के रूप में नामांकित शिक्षक और स्नातक इन चुनावों में मताधिकार का उपयोग करने के पात्र थे। कोंकण टीचर्स निर्वाचन क्षेत्र में सर्वाधिक 91.02 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि नासिक डिवीजन ग्रेजुएट सीट पर पर सबसे कम 49.28 फीसदी मतदान हुआ।
औरंगाबाद, नागपुर, कोंकण डिवीजन में क्रमश: 86, 86.23 और 91.02 वोटिंग हुई। इस चुनाव परिणाम से खुद सत्तारूढ़ भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट के नेता भी हतप्रभ हैं और इसे महाविकास अघाड़ी की लोकप्रियता के साथ जोड़कर देखा जा रहा है।
महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवार सुधाकर अड़बाले ने यह कहकर हड़कंप मचा दिया है कि उनकी चुनावी के पीछे देवेंद्र फडणवीस का हाथ है। उन्होंने इसके पीछे का तर्क भी बताया है।
दरअसल देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में यह कहा था कि महाराष्ट्र सरकार पुरानी पेंशन स्कीम को दोबारा लागू करने के मूड में नहीं है। ऐसा करने से सरकार के ऊपर काफी ज्यादा वित्तीय बोझ बढ़ेगा। बस इसी वजह से शिक्षक और कर्मचारी दोनों नाराज थे। जिसका फायदा उन्हें इस जीत के रूप में मिला है।