बर्लिनः यूक्रेन की मांगों से अब जर्मनी नाराज हो गया है। यूक्रेन को लेपर्ड टैंक देने पर सहमत होने के तुरंत बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने मददगारों से युद्धक विमान और लंबी दूरी के मिसाइलों की मांग कर दी है।
इसी बात पर जर्मनी के चांसलर ओल्फ शलत्ज ने कहा है कि अब यूक्रेन फालूत की मांग करने लगा है। उन्होंने साफ कर दिया है कि वह यूक्रेन के हथियारों की सारी सूची का समर्थन नहीं कर सकते हैं। इससे साफ है कि जर्मनी अपने लेपर्ड टैंक के अलावा फिलहाल यूक्रेन को कोई और हथियार नहीं देने जा रहा है।
युद्ध प्रारंभ होने के बाद से ही नाटो, अमेरिका तथा कई अन्य देश यूक्रेन को हथियार उपलब्ध करा रहे हैं। इन देशों से यूक्रेन को टैंक, बख्तरबंद गाड़ी, छोटी दूरी के मिसाइल और अत्याधुनिक तोपखाना भी मिले हैं। अब अत्याधुनिक युद्धक विमान और पानी के अंदर से वार करने वाले यू बोट की मांग ने सभी को हैरान कर दिया है।
जर्मनी ने साफ साफ कहा है कि लंबी दूरी के मिसाइल देकर वह युद्ध को और अधिक भड़काना नहीं चाहता। शलत्ज ने कहा कि लंबी दूरी के मिसाइलों का इस्तेमाल यानी रूस की सीमा के अंदर हमला करना है। ऐसा होने पर रूस की क्या प्रतिक्रिया होगी, इसे आसानी से समझा जा सकता है।
वह यूक्रेन को बचाव के लिए पर्याप्त मदद कर रहे हैं लेकिन रूस के भीतर घुसकर हमला करने की सोच का वह समर्थन नहीं करेंगे। इससे पहले अमेरिका भी यह साफ कर चुका है कि वह यूक्रेन को ऐसे हथियार नहीं देगा, जिनकी मदद से वह रूसी सीमा के काफी अंदर तक हमला कर सके।
दूसरी तरफ यह बात भी सामने आयी है कि यूक्रेन को हथियार देते देते नाटो के सदस्य देशों के अपने हथियारों का भंडार भी लगभग खाली हो चुका है। जेलेंस्की के एक वीडियो संदेश के बाद जर्मनी के चांसलर ने यह प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
दूसरी तरफ रूस ने साफ कहा है कि इन पश्चिमी देशों के हथियार भी रूस को नहीं डिगा पायेंगे। सिर्फ इन हथियारों का इस्तेमाल होने पर रूसी सेना और बड़ा हमला करेगी। इससे यूक्रेन की आम जनता की परेशानियां बढ़ेंगी।