फ्री टाउनः छोटे से पश्चिम अफ्रीकी देश सिएरे लिओन ने अब अपने यहां महिलाओं को हर स्तर पर तीस प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लागू कर दिया है। दुनिया के कई इलाकों में यहां तक कि अनेक विकसित देशों में भी इसे अब तक लागू नहीं किया जा सका है।
इस ऐतिहासिक फैसले की वजह से दुनिया भर की नारीवादी संगठनों का ध्यान इस छोटे से देश की तरफ गया है, जिसकी आबादी मात्र 62 लाख के करीब है। राष्ट्रपति जुलियस माडा बाओ ने इस फैसले की घोषणा के साथ साथ देश की महिलाओं से इस बात के लिए माफी मांगी है कि अब तक उसके साथ सही व्यवहार नहीं हो पाया था।
नये कानून के तहत अब देश के तमाम सरकारी और निजी नौकरियों में तीस प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षित रहेगा। वहां की महिलाएं काफी समय से इसकी मांग कर रही थी। देश की मंत्री मांटी तातरावाली ने कहा कि अफ्रीका महाद्वीप में किसी भी देश ने ऐसा शक्तिशाली फैसला लेने की पहल अब तक नहीं की है।
सुश्री तारावाली ने कहा कि इस एक फैसले से स्कूल में पढ़ रही बच्चियों को भी यह जानकारी रहेगा कि देश उनके भविष्य की भी चिंता करता है और उन्हें अपनी योग्यता के बल पर आगे बढ़ने का खुला अवसर है। महिलाओं के इस कानून के लागू होने के बाद तमाम कार्यालयों में शीर्ष पद तक पहुंचने का नया मौका भी मिलेगा।
वैसे इस कानून में खास तौर पर महिलाओ को 14 सप्ताह का मातृत्व अवकाश देन के साथ साथ बैंक कर्ज और प्रशिक्षण में बराबरी का अधिकार प्रदान किया गया है। इस कानून को यहां जेंडर इक्यालिटी एंड वीमेंस एमपावरमेंट कानून का नाम दिया गया है।
कानून में इस बात का भी प्रावधान किया गया है कि महिला विरोधी कोई नियोजक अगर इस कानून का पालन नहीं करता है तो उसे ढाई हजार डालर का जुर्माना भी भरना पड़ेगा। बार बार ऐसी गलती दोहराये पर नियोक्ता को जेल भेजने का प्रावधान भी इस कानून में किया गया है।
दूसरी तरफ कर्ज संबंधी प्रावधानों में सुधार किये जाने की वजह से अब देश की महिलाओं को अपने स्तर पर कारोबार प्रारंभ करने में भी मदद मिलेगी। कानून के मुताबिक जिस किसी भी कार्यालय में 25 या उससे अधिक कर्मचारी है, वहां पर यह नियम लागू होगा। इस देश में 52 प्रतिशत आबादी महिलाओं की होने की वजह से इस एक फैसले से नारी सशक्तिकरण की दिशा में इसे बहुत बड़ा कदम माना जा रहा है।