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अब देश में रोजगार देना सबसे बड़ी चुनौती

  • चीन की आबादी की गति कम हुई

  • भारत की आबादी की गति पहले जैसी

  • बेरोजगार को रोजगार नहीं मिला तो परेशानी

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः चीन की आबादी पिछले साठ साल में पहली बार कम हो रही है। यह औसत अभी आगे भी जारी रहेगा। दूसरी तरफ भारत की आबादी लगातार बढ़ रही है। इसलिए यही गति अगर दोनों देशों में कायम रही तो इसी साल भारत ही सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा।

इस उपलब्धि के साथ साथ जो बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है, वह यह है कि सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बाद इतने सारे लोगों को रोजगार कहां से उपलब्ध होगा। केंद्र सरकार का दो करोड़ नौकरी देने का वादा गलत साबित हुआ है। इसके अलावा नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना महामारी ने रोजगार के छोटे केंद्रों को इस तरह प्रभावित किया है कि वे अभी सिर्फ खुद को जिंदा रखने की जद्दोजहद मे जुटे हैं।

लिहाजा उसके जरिए नया और अधिक रोजगार की उम्मीद अभी नहीं की जा सकती है। फिलहाल दोनों देशों की आबादी करीब एक सौ चालीस करोड़ है। चीन अब भी कोरोना की मार झेल रहा है जबकि भारत में रोजगार के जो अवसर कोरोना से पहले थे, वे अब बंद हो चुके हैं।

कोरोना के दौर में मनरेगा ने करोड़ों लोगों को जीने का आधार तो दिया है लेकिन उससे देश आगे नहीं बढ़ पा रहा है। केंद्र सरकार की तमाम योजनाओँ में अधिकाधिक रोजगार सृजन की सोच कहीं से नजर नहीं आ रही है।

भारतवर्ष में हर साल लाखों नये बेरोजगार पहले से बेरोजगार चल रहे लोगों की कतार में जुड़ रहे हैं। भारत में रोजगार के अंतर्राष्ट्रीय आंकड़े यह दर्शाते हैं कि देश में रोजगार के अवसर लगातार कम हो रहे हैं। भारत में कम वेतन और सीमित नौकरी के बीच बेरोजगारों की होड़ मची है।

भारत का आंकड़ा यह कहता है कि अभी भारत में 46 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो बेहतर नौकरी की तलाश में है। इसका खतरनाक संकेत यह है कि बाजार में नौकरी के अवसर अथवा वेतन नहीं होने की वजह से अनेक लोगों ने नौकरी की आस लगाना ही छोड़ दिया है।

भारतीय महिलाओं का आंकड़ा और भी चिंता का विषय है। देश में महिलाओं की नौकरी का योगदान अब घटकर 19 प्रतिशत रह गया है जबकि वर्ष 2005 में यह 26 प्रतिशत हुआ करता था। यह विश्व बैंक के आंकड़े हैं, जो आने वाले समय की भयावह स्थिति की तरफ इशारा कर रहे हैं।

इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के प्रोफसर चंद्रशेखर श्रीपद के मुताबिक इन आंकड़ों का सीधा सादा निष्कर्ष यही है कि भारत अभी एक टाइम बम के ऊपर बैठा हुआ है और यह बम कभी भी फट सकता है। बेरोजगारी से जो सामाजिक असंतोष पैदा होने का खतरा है, वह सरकार के लिए भी खतरे की घंटी है।

इसलिए सबसे अधिक आबादी वाले देश का रिकार्ड बनाने के बाद भी भारत इस चुनौती का कैसे सामना करेगा, इस बारे में कोई कार्ययोजना अब तक सरकार की तरफ से सामने नहीं आयी है। शिक्षा के स्तर पर व्याप्त खामियों की वजह से देश में कुशल कारीगरों को कमी रही है।

इस वजह से अधिक संख्याबल होने के अनुपात में भारत की उत्पादकता में उतनी बढ़ोत्तरी नहीं हो सकती है। बेरोजगारों की कतार में डाक्टर, इंजीनियर और एमबीए की डिग्री वाले भी बढ़ते जा रहे हैं। साथ ही यह बताया गया है कि देश के श्रमिकों का करीब 45 प्रतिशत कृषि कार्य से जुड़ा हुआ है।

दूसरी तरफ खेती की अपनी चुनौतियां इस काल में बढ़ती ही जा रही है। जिस कारण कृषि कार्य में भी रोजगार के अवसर तेजी से कम हो रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक स्थिति को संभालने के लिए सरकार को वर्ष 2030 तक कमसे कम नौ करोड़ रोजगार पैदा करना होगा। इसके बिना भारत को सबसे अधिक आबादी वाले देश का लाभ तो नहीं मिल पायेगा उल्टे यह किसी भी सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन जाएगी।

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