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विदेश जाकर बस गये भारतीयों की तादाद 12 लाख

  • सेवानिवृत्त आइएएस ने अपने ब्लॉग में लिखा

  • उन्होंने कहा कि यह कोई सामान्य स्थिति नहीं

  • देश का लाखों करोड़ रुपया भी इनके साथ चला गया

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः देश के 1,83473 लोगों ने दूसरे देशों में जाकर बसने का फैसला कर लिया है। यह वैसे लोग हैं, जिन्हें दो वक्त की रोटी की कोई समस्या नहीं थी। ना ही इनलोगों के सामने सोमालिया अथवा इथोपिया जैसे किसी गृहयुद्ध की स्थिति थी। इनलोगों को म्यांमार की तरह सेना ने मारकर भी नहीं भगाया था। देश की स्थिति के मुताबिक यह सभी अमीर लोग हैं, जो वर्तमान सरकार के पक्षपात से दुखी थे और यहां अपना कारोबार समेटकर दूसरे देशों में चले गये। इस बारे में सेवानिवृत्त आइएएस अभय शुक्ला ने अपने ब्लॉग में जानकारी दी है।

उन्होंने लिखा है कि वर्ष 2014 में केन्द्र सरकार की बागडोर नरेन्द्र मोदी ने संभाली, तब से इस तरह देश छोड़कर बाहर बसने वालों की तादाद 12 लाख हो चुकी है। ये सब धनी-मानी लोग हैं जिन्होंने किसी और देश की नागरिकता पाने के लिए करीब 10 लाख डॉलर खर्च किए। जाहिर है, हमने अरबों डॉलर हमेशा-हमेशा के लिए यूं ही निकल जाने दिया। अनेक देशों में खास रकम जमा कर तुरंत नागरिकता पाने का प्रावधान लागू हुआ है। इन देशों में अपने यहां पूंजीनिवेश बढ़ाने के लिए ऐसा फैसला लागू किया है। इसका फायदा अब दूसरे देशों के साथ साथ भारतीय नागरिक भी उठा रहे हैं।

श्री शुक्ला ने लिखा है कि किसी भी समझदार सरकार ने ऐसा नहीं होने दिया होता और यह जानने की कोशिश करती कि आखिर इसकी वजह क्या है। लेकिन हमारी डबल इंजन-सिंगल ड्राइवर सरकार ने ऐसी कोई कोशिश नहीं की। सवाल यह उठता है कि सदियों पहले जहां अफ्रीका और यूरोप से लोग भारत में आए, आज यहां से वापस क्यों जा रहे हैं? एक तरह से यह रिवर्स माइग्रेशन है। मैंने मामले की तह तक पहुंचने के लिए छोटे पैमाने पर एक सर्वे किया।

ऐसा लगता है कि भक्तों द्वारा जिस तरह बार-बार लोगों को सलाह दी जाती है कि वे पाकिस्तान चले जाएं, उससे कुछ लोग हतोत्साहित हुए होंगे। वैसे, अब पाकिस्तान भी कोई बहुत बुरा विकल्प नहीं है, वहां लाखों-करोड़ों कमाना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं रह गया है, बशर्ते सेना या फिर सत्तारूढ़ दल में किसी से पहचान हो।

अगर आप ऐसा सोचते हैं, तो आप हालात को थोड़ा गलत आंक रहे हैं। हमारे यहां के धनी-मानी लोगों को यह चिंता सताने लगी है कि कल होकर ट्रंप, ऋषि सुनक और जॉर्जिया मिलोनी जैसे नेता बाहर से आए लोगों के बसने के लिहाज से अपने दरवाजे पूरी तरह बंद कर लें या फिर पुतिन की सनक के कारण वापस हिमयुग आ जाए, इसके पहले ही कोई सुरक्षित ठिकाना ढूंढ़ लिया जाए। इस लिहाज से सोमालिया, कांगो, हैती या टोंगा पसंदीदा स्थल के तौर पर लोकप्रिय हो रहे हैं।

इसके अलावा दूसरी वजहें भी हैं जैसा कि कुछ लोगों ने निजी बातचीत में स्वीकार किया। उनकी आशंकाएं कुछ इस तरह हैं- 2024 में मौजूदा कार्यकाल खत्म होने के बाद निर्मला सीतारमण दोबारा वित्तमंत्री बन जाएं, नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी तपस्या पूरी कर लेने के बाद योगी आदित्यनाथ की प्रधानमंत्री के रूप में ताजपोशी, जरूरी कांग्रेस विधायकों को राजी करके हिमाचल में कंगना रनौत के सत्ता संभालने की स्थितियां बना दी जाएं, चीन के भारत पर कब्जे की संभावनाओं, ईवीएम में इस तरह के खेल का और व्यापक हो जाना जिसमें लोग पोलिंग बूथ पर जाएं न जाएं नतीजा जो आना है, वही आए।

अब, ये सभी गंभीर किस्म के पूर्वाभास हैं लेकिन यही मुख्य वजह नहीं है। असली वजह कुछ और है। शोध से पता चलता है कि हमारे ये संपन्न लोग न तो अर्थव्यवस्था के कारण देश छोड़ रहे हैं और न ही अनिश्चितताओं के कारण। वे इसलिए भारत से मुंह मोड़ रहे हैं कि यहां आपकी पसंद के रंग के आधार पर आपको परखा जाने लगा है।

उस व्यापक मानसिकता का ही हिस्सा है जिसे हमारे दक्षिणपंथी दोस्त फैला रहे हैं लेकिन  जूते मारो सालों को का नारा लगाने या अल्पसंख्यकों को बात-बात पर कोसने या फिर मस्जिदों को गिराने को ध्यान में रखते हुए बात करें, तो यह साफ है कि यह मामला उतना छोटा नहीं, जितना दिखता है। आज के भारत में इस पेचीदा सवाल का कोई आसान जवाब नहीं है।

भगवा भाजपाइयों को आहत करने वाला है, लाल पर कम्युनिस्ट लाल हो जाएंगे, हरा हुआ तो ओवैसी विरोध में उतर आएंगे, नीले रंग पर ममता बनर्जी का चेहरा बैंगनी हो जाएगा, पीला अखिलेश यादव की भावनाओं को ठेस पहुंचा जाएगा और अगर इनमें से दो-तीन रंगों का कुछ घालमेल हुआ तो राष्ट्रीय ध्वज संहिता के तहत अपराध हो जाएगा।

एक फिल्म की अभिनेत्री की बिकिनी ने जो बवाल मचाया है, उससे साफ है कि आपके अंडरवियर के रंग से आपको परखा जाएगा। अब आप समझ सकते हैं कि भारत को छोड़कर दूसरे देशों का रुख करने वाले संपन्न लोगों की असली दुविधा किस तरह की है। आप किसी भी रंग की अंडरवियर पहनें, इससे किसी-न-किसी पार्टी के असहज हो जाने की आशंका होती है और आपको अंडरवियर तो पहनना ही होगा क्योंकि अगर आपके पास लूट का कुछ भी माल है तो उसे छिपाना भी तो होगा। मुझे उनसे सहानुभूति है जिनके पास लूट का कोई माल नहीं है, फिर भी वे अपने हौसले को बुलंद रखने के लिए अंडरवियर पहन लेते हैं। फिर ऐसे भी हैं जो बेशक आपको दिखे नहीं लेकिन उन्होंने पहन जरूर रखा हो।

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