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सिर्फ जलस्रोतों को देखने के लिए भेजा है
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पहले इसकी क्षमता की सटीकता की जांच होगी
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कुछ महीनों बाद पूरी तरह से काम करने लगेगा यह
राष्ट्रीय खबर
रांचीः नासा ने अपनी नया सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजा है। इस नये सैटेलाइट का नाम स्वोट है। इसे खास तौर पर पूरी दुनिया के जल भंडारों के सर्वेक्षण के लिए भेजा गया है। खास काम के लिए तैयार यह सैटेलाइट अंतरिक्ष में रहते हुए पूरी दुनिया के इन्हीं आंकड़ों को एकत्रित करेगा। इसके जरिए पूरी दुनिया के जल भंडार की मैपिंग की जाएगा और आवश्यकतानुसार सुधार के प्रयास किये जाएंगे।
इस अत्याधुनिक सैटेलाइट की विशेषता यही है कि यह सभी इलाकों में मौजूद नदियों, झीलों और समुद्री सतह को साफ साफ देख सकता है। इसके जरिए मौसम के बदलाव के दौरान कहां बाढ़ अथवा सूखे की स्थिति बन रही है, उसका भी पता पहले ही चल पायेगा। ऐसा इसलिए संभव होगा क्योंकि यह सैटेलाइट चौबीसों घंटे अपने नियंत्रण कक्ष को सूचनाएं भेजता रहेगा। नासा ने इस नये सैटेलाइट को अंतरिक्ष में 890 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया है। वहां अपनी धुरी पर रहते हुए यह चक्कर लगाती धरती के हर हिस्से को देख सकेगा।
एक फॉल्कन रॉकेट के सहारे इसे अंतरिक्ष में इस काम के लिए भेजा गया है। वैसे बता दें कि नासा के इस अभियान में कई अन्य देशों का भी सहयोग है। फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी ने इसमें मदद की है। दूसरी तरफ ब्रिटेन और कनाडा के अंतरिक्ष वैज्ञानिक भी इसमें सहयोग कर रहे हैं। सैटेलाइट अपना काम सही तरीके से कर पा रहा है अथवा नहीं, इसकी जांच के लिए ब्रिटिश वैज्ञानिकों से यह आग्रह किया गया है कि वे ब्रिस्टल चैनल को इसके मापदंड के तौर पर जांचे क्योंकि इसकी आधुनिक मैपिंग का काम पहले ही हो चुका है।
इसलिए सर्वेक्षण से मिलने वाले आंकड़ों का पूर्व की मैपिंग से मिलान कर यह समझा जा सकेगा कि यह सैटेलाइट कितना सही काम कर रहा है। वैसे प्रारंभिक जांच के बाद इस सैटेलाइट को पूरी तरह सक्रिय होने में अभी कुछ महीने लगेंगे। इसके बीच इसकी जांच और रिपोर्टों के वास्तविक मिलान का काम चलता रहेगा। इसमें जो खास किस्म का रडार लगा है, उसे फ्रांस के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है।
यह दावा किया गया है कि यह सैटेलाइट अपनी जगह से धऱती पर मौजूद हर उस नदी को देख सकता है जो एक सौ मीटर चौड़ी हो और वैसी झीलों को भी समझ सकता है जो छह हेक्टेयर इलाके में फैले हुए हों। वह जलस्तर के उतार चढ़ाव को भी अपने अत्याधुनिक यंत्रों की मदद से समझ सकता है।
नासा के इस प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिक डॉ ल लुयेंग फू ने कहा कि यह अकेला सैटेलाइट पूरी दुनिया के जलभंडारो के बारे में इतनी अधिक जानकारी देगा जो अब तक उपलब्ध नहीं है। पूरी दुनिया की झीलों में से बहुत कम की मैपिंग सही ढंग से हुई है। यह सैटेलाइट लाखों ऐसी झीलों का आंकड़ा उपलब्ध करायेगा। इसकी मदद से पानी के बहाव के साथ साथ वातावरण में सोखे अथवा छोड़े जा रहे कॉर्बन डॉईऑक्साइड की भी जानकारी मिल पायेगा, जो अभी मौसम के बदलाव की वजह से अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
सैटेलाइट के उस ऊंचाई पर तैनात होने की वजह से समुद्र में तेल के रिसाव को भी देखा और समझा जा सकेगा। दावा किया गया है कि इसके यंत्र किसी भी जल के इलाके में दस सेंटीमीटर की लहर को भी नाप सकेंगे। इससे पानी के बारे में समय से पहले काफी कुछ ऐसी जानकारी मिल पायेगी, जिससे दुनिया को फायदा होने जा रहा है। इसके सहारे किसी भूकंप के बाद आने वाली सूनामी की लहर की ऊंचाई का पूर्व आकलन भी कर पाना संभव होगा। इससे जान माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा।