खारतूमः सूडान की जनता ने सैन्य शासन को खत्म करने की मांग को लेकर प्रदर्शन करना प्रारंभ कर दिया है। जनता ने सैन्य शासन के उस प्रस्ताव को भी मानने से इंकार कर दिया है, जिसमें स्थिति सामान्य होते ही जनता को यह सत्ता सौंप देने की बात कही गयी थी। जनता ने सैन्य सत्ता को तानाशाही की तरफ बढ़ने से रोकने के लिए यह कदम उठाया है। इसकी वह से सूडान की राजधानी की सड़कों पर आज लगातार जनता का प्रदर्शन जारी रहा। वे सैनिक शासकों को तुरंत अपने बैरकों को लौट जाने की मांग कर रहे हैं। बता थे कि देश में उथल पुथल के दौर में अक्टूबर 2021 में अचानक सैन्य विद्रोह हुआ था। इस विद्रोह के बाद सेना ने सत्ता पर नियंत्रण कायम कर लिया था।
पूर्व के तानाशाह ओमर अल बशीर को गद्दी से हटा देने के बाद सेना ने जनता को यह भरोसा दिलाया था कि स्थिति सामान्य होते ही सत्ता जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों को सौंप दी जाएगी। इतने दिनों बाद भी इस दिशा में कोई प्रगति नहीं होने के बाद अब जनता फिर से सड़कों पर आयी है। इनलोगों ने सैन्य सत्ता के केंद्र बने रिपब्लिक पैलेस के बाहर प्रदर्शन किया।
इस भीड़ को तितर बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने अश्रु गैस के गोले भी दागे। उसके बाद वहां एकत्रित भीड़ पर पानी की बौछार भी की गयी। वैसे इस मामले में अब तक किसी के गंभीर रूप से घायल होने की सूचना नहीं मिली है। यह प्रदर्शन जनता द्वारा गठित विरोध कमेटी के द्वारा की जा रही है। इनलोगों ने वहां से सैन्य शासक जनरल अब्देल फतह बुरहान और जनरल मोहम्मद हमदान डागालो के प्रस्तावों को नामंजूर कर दिया है। सेना के इन दोनों जनरलों ने पिछले वर्ष के सैनिक विद्रोह का नेतृत्व किया था।
अब देश में लोकतंत्र समर्थक समूह एकजुट होकर सेना के हाथ से सत्ता की वापसी की मांग करने लगे हैं। पहले अनेक खंडों में बंटे राजनीतिक दलों के लोग भी अब लोकतंत्र की बहाली और सैन्य शासन की समाप्ति के मुद्दे पर एकजुट हो गये हैं। इसी वजह से आज के प्रदर्शन में इतनी अधिक संख्या में लोग एकत्रित हुए थे।