अपराधआतंकवाददेश

पाकिस्तानी ड्रोनों को गिरा रही है सीमा सुरक्षा बल

हथियार, मादक और पैसा पहुंचाने में इस्तेमाल होने लगा है अब ड्रोनों का

  • आतंकवादी और तस्कर दोनों द्वारा प्रयोग

  • घने कोहरे में भी देखने की तकनीक विकसित

  • जमीन के अंदर के सुरंग का भी पता लग जाता है

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः सीमा सुरक्षा बल ने इस साल पाकिस्तान की सीमा पर अब तक 16 ड्रोनों को मार गिराया है। यह काम अब पूरी तरह स्वदेशी तकनीक के आधार पर हो रहा है। पिछले साल यानी वर्ष 2021 में सिर्फ एक ड्रोन को गिराया जा सका था। सीमा सुरक्षा बल के लिए यह काम अधिक चुनौतीपूर्ण बन गया है क्योंकि अब खुले बाजार में ड्रोन बिक रहे हैं। कोई भी तस्कर अथवा आतंकवादी संगठन इन्हें खरीद सकता है। इसलिए अब सीमा पर निगरानी और चौकस हो चुकी है।

अब तक जिन ड्रोनों को मार गिराया गया है, उनमें हथियार, मादक पदार्थ और नकद रुपये भी मिले हैं। इस बारे मे सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक ने बताया कि अब सीमा की निगरानी में आधुनिक तकनीक का अधिक इस्तेमाल हो रहा है। बीएसएफ ने स्वदेशी तकनीक के आधार पर विकसित वैसे उपकरणों का भी इस्तेमाल प्रारंभ किया है, जो घने कोहरे में भी देख सकते हैं और कहीं भी छिपाये गये विस्फोटकों का दूर से ही पता लगा सकते हैं।

इस काम को पूरी करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तीस करोड़ रुपये की अतिरिक्त स्वीकृति प्रदान की है। अब सीमा पर साढ़े पांच हजार और कैमरे भी लगाये जा रहे हैं। इसके लिए सीआईबीएमएस योजना के तहत काम हो रहा है। अब बल के पास वैसी स्वदेशी तकनीक उपलब्ध है, जिनकी मदद से जमीन के अंदर बनाये गये सुरंगों का भी पता लगाया जा सकता है। पाकिस्तान की सीमा पर ड्रोनों का इस्तेमाल इनदिनों बढ़ गया है।

दरअसल इनकी मदद से सिर्फ आतंकवादी हथियार ही नहीं भेजते बल्कि मादक पदार्थों के तस्कर नशे की खेप भी भेजा करते हैं। दोनों ही मोर्चों पर बीएसएफ को हमेशा सतर्क रहना पड़ रहा है। बीएसएफ के महानिदेशक पंकज सिंह ने बताया कि अब तो वैसे स्वदेशी तकनीक भी विकसित हो चुकी है, जिसकी मदद से ड्रोन के सहारे ही अश्रु गैस के गोले भी दागे जा सकते हैं।

किसी खास स्थान तक पहुंचने के लिए ऐसे ड्रोन एक साथ पांच अश्रु गैस के गोले ले जा सकते हैं। वैसे अब तक सुरक्षा बल के हाथ लगे ड्रोनों की गहन परीक्षण से यह भी पता चल गया है कि इन ड्रोनो को कहां से छोड़ा गया था क्योंकि उनमें लगी इलेक्ट्रानिक चिप इस आंकड़े को अपने अंदर सुरक्षित रखते हैं। इससे भी सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों को समझने मे मदद मिल रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button