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घर के अंदर की नमी का संतुलन भी कोरोना फैलने से रोकता है

  • 121 देशों के आंकड़ों का गहन विश्लेषण किया

  • मौसम संबंधी आंकड़ों को भी इसमें शामिल किया

  • हवाई जहाज में संक्रमण फैलने की आशंका ज्यादा

राष्ट्रीय खबर

रांचीः कोरोना को लेकर दुनिया भर में फिर से चिंता बढ़ गयी है। यह चिंता इसलिए बढ़ी है क्योंकि चीन में फिर से कोरोना महामारी का रुप धारण कर चुकी है। पिछले तीन दिनों से वहां औसतन तीस हजार से अधिक कोरोना रोगी पाये जा रहे हैं। इसके बीच ही एक शोध के बाद यह बताया गया है कि आम घरों में औसत नमी और हवा का प्रवाह सही होने की स्थिति में भी कोरोना को फैलने से रोका जा सकता है।

दूसरी तरफ जिन घरों में सूखापन अथवा बहुत अधिक नमी होती है, वहां कोरोना का फैलना तेज गति से होता है। एमआईटी के शोधदल ने इस पर तमाम आंकड़ों को देख परख लेने के बाद ऐसा कहा है। इस निष्कर्ष की जानकारी रॉयल सोसायटी की पत्रिका में प्रकाशित की गयी है। शोध दल का मानना है कि कई घरों में कोरोना का संक्रमण पचास प्रतिशत कम होने की असली वजह यही नमी का संतुलन है।

शोध में यह पाया गया है कि जिन घरों में चालीस से साठ प्रतिशत तक की नमी होती है, वहां कोरोना के विषाणु तेज गति से नहीं फैल पाते हैं। दूसरी तरफ इससे कम या अधिक होने की स्थिति में यह वायरस तेजी से फैलता है और दूसरों को भी अपनी चपेट में ले लेता है।

इस वजह से हवाई जहाज में भी कोरोना का संक्रमण बहुत अधिक होने की बात कही गयी है। हवाई उड़ानों के दौरान वहां केबिन के अंदर बीस प्रतिशत तक नमी होती है। इस माहौल में कोरोना के विषाणुओँ को आगे बढ़ने का मौका मिल जाता है। इस शोध दल ने इस बात को समझने के लिए 121 देशों के मौसम संबंधी आंकड़ों तक का विश्लेषण किया है। यह आंकड़े जनवरी 2020 से लेकर अगस्त 2020 तक के हैं। इसके आधार पर ही कहा गया है कि जिन इलाकों में अचानक से कोरोना का विस्फोट हुआ है वहां के घरों की नमी इसका प्रमुख कारण रही है।

जहां लोगों की सबसे अधिक मौत हुई है वहां भी अपेक्षाकृत कम मौत के लिए कमरे के अंदर नमी का चालीस से साठ प्रतिशत होना पाया गया है। इस शोध के नेता कोन्नर वेरहायेन ने कहा कि इस संतुलन को काफी गंभीरता से समझने के बाद ही यह नतीजा निकाला गया है।

एमआईटी के विभागीय निदेशक लीडिया बाउरुईबा ने कहा है शोध के हिसाब से कमरे के अंदर नमी और हवा का प्रवाह अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह भी पाया गया है कि कोरोना की चपेट में आने वाले अधिकांश लोग इस दौरान घरों में ही थे। यानी उन्हें यह संक्रमण घर के अंदर ही लगा था। इसकी एक वजह लोगों द्वारा मौसम के हिसाब से हीटर अथवा एसी का इस्तेमाल करना रहा है।

इन दोनों ही कृत्रिम उपायों की वजह से कोरोना के वायरसों को फैलने का अवसर प्राप्त हुआ था। इसे समझने के लिए शोध दल ने हर देश के कोरोना विस्फोट वाले इलाकों के मौसम की भी जानकारी ली थी। यह माना गया है कि यह विषाणु ऐसे कम अथवा अत्यधिक नमी वाले माहौल में अधिक देर तक सक्रिय रहते हैं। इससे उनके संपर्क में आने वाला भी विषाणु की चपेट में आता चला जाता है।

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