लंदनः ब्रिटेन ने अपने तमाम संवेदनशील इलाकों में निगरानी के लिए लगे कैमरों में से चीन में निर्मित कैमरों को हटाने का फैसला लिया है। यह कहा गया है कि ऐसे स्थानों पर वैसे उपकरणों का ही इस्तेमाल हो, जिनसे किसी दूसरे देश को बैठे बैठे सारी सूचनाएं नहीं मिल सके।
दूसरी तरफ एक प्रमुख चीनी कंपनी हिकविजन ने कहा है कि उनकी तरफ से ऐसा कुछ नहीं हुआ है जो ब्रिटेन की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो। ब्रिटेन की संसद में इस बारे में सरकारी बयान दिया गया था कि सरकार ने किसी तीसरे पक्ष तक गोपनीय जानकारी पहुंचने की सूचना को गंभीरता से लिया है। इसी वजह से चीन में लागू नियमों के तहत काम करने वाली कंपनियों के ऐसे उत्पादों को महत्वपूर्ण इलाकों से हटाया जा रहा है। इनमें खास तौर पर सीसीटीवी कैमरे भी हैं।
यह फैसला होने के बाद हिकविजन ने भी अपनी तरफ से यह सफाई दी है कि वह अपने बनाये हुए कैमरों को किसी भी तरीके से नियंत्रित नहीं करता और न ही उन उपकरणों मे कोई गुप्त यंत्र लगा है जो निरंतर किसी और को आंकडे भेज सके। ऐसे कैमरों का सारा डेटा उसके पास ही होता है जिसके पास उनका नियंत्रण होता है।
अब ब्रिटिश सरकार के फैसले के बाद सभी विभाग अपने अपने स्तर पर लगे सीसीटीवी कैमरों की पड़ताल कर रहे हैं। ताकि जहां कहीं भी चीन की किसी कंपनी में निर्मित ऐसा कैमरा लगा हो, उसे तुरंत हटाया जा सके। बता दें कि अमेरिका ने वर्ष 2019 में ही ऐसी कंपनियों को काली सूची में डाल दिया था। वहां भी आरोप लगा था कि चीन में निर्मित ऐसे उपकरण गुप्त तरीके से चीन अथवा चीन द्वारा किसी दूसरे स्थान पर स्थापित केंद्रों तक लगातार डेटा भेजते हैं।
अमेरिका के बाद अब ब्रिटेन ने भी ऐसा ही फैसला लिया है। ब्रिटेन में इस मुद्दे पर चर्चा प्रारंभ होने के बाद यह पाया गया था कि अनेक स्थानों पर इस हिकविजन के ही कैमरे लगे हुए हैं। जिन्हें अब क्रमवार तरीके से हटाया जाने लगा है।