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चुनाव से पहले गुजरात भाजपा के खेमे में संकट के बादल छा गये हैं

  • प्रदेश नेतृत्व ने आलाकमान को बता दिया है

  • जनता का मिजाज अब भाजपा के खिलाफ है

  • कीमतों पर शीघ्र फैसला ले सकती है केंद्र सरकार

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः आम जनता के लिए हो सकता है कि राहत वाली खबर आयेगी। गुजरात चुनाव का औपचारिक एलान होने के बाद भाजपा के गुजरात प्रदेश नेतृत्व को अपना किला बचाने की परेशानी साफ साफ समझ में आ रही है। दऱअसल भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी ने बार बार अपनी जनसभाओं में महंगाई का मुद्दा उठाया है।

इसलिए गुजरात ने दिल्ली दरबार को यह सूचना दी है कि महंगाई के मुद्दे के वजह से गुजरात में भाजपा को जनता के सवालों का उत्तर देना कठिन हो रहा है। ऐसी स्थिति में अपना किला बचाने में जुटी भाजपा मोदी और शाह की मदद से कुछ वैसे फैसले भी ले सकती है जो मतदाताओं को राहत देने का काम करे। इसमें तेल और गैस के दामों में कमी सबसे प्राथमिक विषय है।

इनके दाम अगर घटाये जाते हैं तो वह गुजरात का डैमेज कंट्रोल का प्रयास ही होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी कोर कमेटी के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की है, जिसमें लोगों ने यह स्पष्ट कर दिया कि चुनावी परिस्थितियां अनुकूल नहीं है। इसके लिए कई सीटों पर अब प्रत्याशी बदलने पर भी विचार किया जा रहा है।

भाजपा की चुनौती को बढ़ाने वाली आम आदमी पार्टी ने 86 प्रत्याशियों के नाम का एलान करने के बाद मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी घोषित कर दिया है। कांग्रेस ने चुपचाप इस चुनाव की तैयारी की थी और उसके प्रत्याशियों की सूची भी लगभग तय है। समझा जाता है कि श्री खडगे शीघ्र ही अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर देंगे। आप के नेता अरविंद केजरीवाल की गारंटियों के साथ साथ कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे द्वारा गैस की कीमतों में कमी के एलान से भाजपा की परेशानियां और बढ़ गयी हैं।

भाजपा के लोगों ने अपने केंद्रीय नेतृत्व को बता दिया है कि 27 वर्षों के शासन का उल्लेख विरोधियों द्वारा किये जाने तथा अन्य मुद्दों की वजह से चुनावी हवा भाजपा के पक्ष में नहीं है। इसके ऊपर मोरबी की घटना ने जनता को औऱ नाराज कर दिया है। इस परेशानी से मुक्ति पाने के लिए अमित शाह को तेल और गैस की कीमतों में कमी करने का सुझाव भी दिया गया है।

पिछले पांच वर्षों में मुख्यमंत्री बदलने की कवायद को भी नये मतदाताओं ने अच्छी नजरों से नहीं देखा है। अब जनता के घावों पर मरहम लगाने का त्वरि उपाय ईंधन के दामों में कटौती है। इसी वजह से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि शीघ्र ही इनकी कीमतों में कमी का एलान भी किया जा सकता है। इसके पहले श्री मोदी गुजरात में अनेक परियोजनाओँ का एलान कर आये हैं।

उनका दौरा समाप्त होने के बाद ही चुनाव आयोग ने वहां के चुनाव कार्यक्रमों का एलान कर खुद को संदेह के घेरे में डाल लिया है। लोगों में यह सवाल चर्चा में आ गया है कि जब मतों की गिनती का काम हिमाचल के साथ ही होना है तो देर से चुनाव का एलान क्या सिर्फ मोदी को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया।

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