केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती और बेहतर इंतजाम का फायदा नहीं
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सरकारी धन की बर्बादी और सुरक्षा पर संकट
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सीआईअसएफ के जवान सुरक्षा में तैनात है
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हर दिन सत्तर किलोमीटर का खर्च भी
अशोक कुमार शर्मा
हजारीबाग: हजारीबाग एनटीपीसी की पकरी बरवाडीह कोल माइंस परियोजना में कार्यरत अधिकारी सरकारी धन का अनावश्यक दुरुपयोग कर रहे हैं। बड़कागांव स्थित कार्यालय के लिए एनटीपीसी ने करोड़ों रुपये खर्च कर आधुनिक आवासीय सुविधाएँ उपलब्ध कराई हैं, फिर भी अधिकारी वहां न रहकर प्रतिदिन 70 किलोमीटर की यात्रा कर हजारीबाग से आते-जाते हैं।
इससे न केवल सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है, बल्कि सुरक्षा संबंधी जोखिम भी बढ़ रहे हैं। एनटीपीसी ने बड़कागांव कार्यालय में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त आवासीय परिसर तैयार किया है ताकि अधिकारी वहीं रहकर सुचारू रूप से कार्य कर सकें। इसके बावजूद अधिकारी इन सरकारी आवासों का उपयोग करने के बजाय निजी किराए के मकानों में रह रहे हैं और प्रतिदिन सरकारी वाहनों से लंबी दूरी तय कर कार्यालय आ रहे हैं।
इस तरह एनटीपीसी अफसरों द्वारा सरकारी धन की बर्बादी हो रही है और उनके आने जाने तथा हजारीबाग में किराये के मकान का खर्च भी बढ़ रहा है। अनुमान है कि प्रत्येक अधिकारी पर यह खर्च प्रतिदिन हजारों रुपये के हिसाब से पड़ता है। इसके अलावा लंबी यात्रा से कार्यक्षमता प्रभावित होती है और सरकारी समय की बर्बादी होती है।
एनटीपीसी अधिकारियों की अनावश्यक यात्रा के कारण उनकी सुरक्षा भी खतरे में पड़ रही है। 8 मार्च 2025 को एनटीपीसी अधिकारी कुमार गौरव पर गोलीबारी की घटनाएँ सामने आई हैं। इससे पहले भी कई अवसरों पर ऐसे हादसे हो चुके हैं। इसके बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यह स्थिति तब है जबकि बड़कागांव स्थित सरकारी आवासों में सीआईएसएफ सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध है, वहाँ रहने से अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है।
सरकार को इस व्यय पर रोक लगाने और अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सरकारी आवासों में रहने के निर्देश देने चाहिए। यदि अधिकारी बड़कागांव स्थित आवासीय परिसर में रहने लगें तो प्रति अधिकारी प्रतिदिन 10,000 से अधिक की बचत होगी। इससे सरकारी धन का दुरुपयोग रुकेगा, परियोजना में पारदर्शिता आएगी और अधिकारियों की कार्यक्षमता भी बढ़ेगी। सरकार को सख्त नियम लागू कर अधिकारियों को परियोजना क्षेत्र में निवास करने के लिए बाध्य करना चाहिए ताकि सरकारी धन और संसाधनों का उचित उपयोग हो और परियोजना की प्रगति में बाधा न आए।