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अब वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने की कवायद

पहले की गलतियों की जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः फर्जी वोटरों को दूर करने की दिशा में अब चुनाव आयोग नया काम करने वाला है। चुनाव आयोग मंगलवार को ईपीआईसी और आधार को जोड़ने पर बैठक करेगा, पार्टियों से राय मांगी गयी है। बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि मतदाता सूची में फर्जी वोटर हैं।

राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी ने राष्ट्रीय चुनाव आयोग को एक ज्ञापन भी सौंपा है जिसमें मांग की गई है कि पासपोर्ट और आधार कार्ड की तरह वोटर कार्ड (ईपीआईसी) पर भी ‘विशिष्ट’ नंबर क्यों नहीं होना चाहिए? इसी माहौल में राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने अगले मंगलवार को मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) को आधार कार्ड से जोड़ने पर बैठक बुलाई है।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बैठक बुलाई है। बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, आधार आयोग के सीईओ, संसदीय कार्य मंत्रालय के सचिव और केंद्रीय विधि सचिव भाग लेंगे। आयोग ने इस मामले पर सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों से राय और सुझाव भी मांगे हैं। यह कहा गया है कि राय 30 अप्रैल तक आयोग को भेज दी जाए। माना जा रहा है कि आयोग विलय पर ‘सैद्धांतिक’ निर्णय ले सकता है। मंगलवार की बैठक में इसके कार्यान्वयन की प्रक्रिया पर प्रारंभिक चर्चा भी शामिल हो सकती है।

तृणमूल नेता ममता बनर्जी पहली व्यक्ति थीं जिन्होंने फर्जी मतदाताओं, यानी एक ही मतदाता पहचान पत्र संख्या वाले कई लोगों का मुद्दा उठाया था। ममता ने 27 फरवरी को नेताजी इंडोर में तृणमूल की बैठक में कई उदाहरणों का हवाला देते हुए यह आरोप लगाया। इसके बाद तृणमूल प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग गया।

आयोग को दिए गए ज्ञापन में तृणमूल ने लिखा, ममता बनर्जी द्वारा उठाए जाने तक इस मुद्दे को सालों तक क्यों चुप रखा गया? गौरतलब है कि ममता की शिकायत के पांच दिन के भीतर ही आयोग ने दो बयानों में स्वीकार किया कि एक एपिक नंबर से कई राज्यों में वोटर कार्ड बन सकते हैं। संयोग से, कांग्रेस और राकांपा जैसी पार्टियों ने भी तृणमूल द्वारा लगाए गए आरोपों का समर्थन किया है।

कई गैर-भाजपा दलों ने कहा, एक ही मतदाता पहचान पत्र संख्या पर विभिन्न राज्यों में मतदाता नाम कैसे हो सकते हैं? परिणामस्वरूप चुनाव संहिता की धारा 28 का सीधा उल्लंघन हो रहा है। दिल्ली में हंगामा शुरू होने के बाद आयोग कुछ हद तक हिल गया। इस बार नई दिल्ली स्थित चुनाव आयोग ने भी ईपीआईसी को आधार से जोड़ने संबंधी बैठक को अंतिम रूप दिया।

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