डोनाल्ड ट्रंप के बयान का निहितार्थ कुछ और तो नही
-
दूसरे देश के मतदान में हमारा पैसा क्यों
-
एक सरकारी समारोह में खुलकर बोले वह
-
बार बार मोदी का नाम लेने से असमंजस
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः अनुदान विवाद में डोनाल्ड ट्रंप के नये बयान से फिर से देश की राजनीति गरमा गयी है। अमेरिकी प्रशासन अमेरिकी मतदाताओं को मतदान केन्द्रों तक लाने के लिए धन खर्च कर सकता है। लेकिन अमेरिका अन्य देशों के मतदाताओं के लिए इतना पैसा क्यों देगा? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर अनुदान विवाद पर खुलकर बात की है।
इसके अलावा उन्होंने इस बहस में पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी लिया। ट्रम्प ने इसी मुद्दे पर तीन बार भारत को अनुदान दिए जाने पर सवाल उठाए। अमेरिकी राष्ट्रपति ने न केवल भारत बल्कि बांग्लादेश को दी जाने वाली वित्तीय सहायता की भी आलोचना की है।
अमेरिकी गवर्नरों के कार्यकारी सत्र में भाषण देते हुए ट्रंप ने फिर से अनुदान का मुद्दा उठाया। उस भाषण में उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी को अपना मित्र बताया, लेकिन ट्रम्प ने भारतीय चुनावों में 1.82 अरब रुपये (21 मिलियन डॉलर) दान देने पर सवाल उठाए। उनके शब्दों में, भारत में मतदाताओं को मतदान केन्द्रों तक लाने के लिए 182 करोड़ रुपये मेरे मित्र प्रधानमंत्री मोदी के देश में जा रहे हैं। लेकिन भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए हम क्या करेंगे? मैं भी मतदाताओं को मतदान केन्द्रों तक लाना चाहता हूं। लेकिन यह मेरे देश के लिए है।
इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने बांग्लादेश का उल्लेख किया। ट्रम्प का दावा है कि बांग्लादेश को भी 29 मिलियन डॉलर (भारतीय मुद्रा में लगभग 2.52 बिलियन डॉलर) का अनुदान दिया गया है। उनके शब्दों में, 29 मिलियन डॉलर एक ऐसे संगठन को दिए गए जिसका नाम किसी ने नहीं सुना था, जिसका उद्देश्य बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिति को मजबूत करना था।
अमेरिका का दावा है कि उसने भारत में मतदाताओं को मतदान केन्द्रों तक लाने के लिए लगभग 1.82 अरब रुपया का दान दिया। एलन मस्क के कार्यालय ने हाल ही में उस दान को रोक दिया। तब से, वर्तमान राष्ट्रपति ट्रम्प इस दान को लेकर पूर्ववर्ती जो बिडेन प्रशासन के खिलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं। इस संबंध में वह पहले भी भारत पर निशाना साध चुके हैं।
उन्होंने कहा, भारत में मतदान दर बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर? हमें भारत के वोट की परवाह क्यों करनी चाहिए? हमारी अपनी कई समस्याएं हैं। हमें अपने मतदाता प्रतिशत के बारे में भी सोचना होगा। इतना सारा पैसा भारत जा रहा था! क्या आप कल्पना कर सकते हैं? इतना ही नहीं, उन्होंने इस दान को रिश्वत योजना भी कहा।
ऐसे उपायों को अवैध माना जाता है। ट्रम्प ने पहले भी भारत को अवैध रूप से अनुदान प्रदान करने के लिए बिडेन प्रशासन की आलोचना की थी। मस्क के बगल में खड़े होकर उन्होंने अपने पूर्ववर्ती पर निशाना साधते हुए कहा, मुझे लगता है कि यह किसी को अपने पक्ष में करने का प्रयास था। हमने भारत सरकार को इस बारे में सूचित कर दिया है।
ट्रम्प ने सत्ता में आने के बाद, विभिन्न देशों को संयुक्त राज्य अमेरिका की अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता बंद कर दी। मस्क के नेतृत्व वाले सरकारी दक्षता विभाग ने कहा कि यूएसएआईडी ने मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए भारत में 21 मिलियन डॉलर का निवेश किया है।
पिछले रविवार को मास्क विभाग ने भारत सहित कई अन्य देशों के लिए आवंटन रद्द करने की घोषणा की। अनुदान रोकने संबंधी ट्रम्प के बयान से भारतीय राजनीति में पहले ही हलचल मच गई है। इसके अलावा, विश्व कूटनीतिक समुदाय भी उत्तेजित है। ट्रम्प की घोषणा पर मोदी सरकार ने भी प्रतिक्रिया दी है। भारत के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि यह मुद्दा चिंताजनक है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी कहा कि संबंधित विभाग पूरे मामले की जांच कर रहे हैं।