जीनत को ग्रीन कॉरिडोर से यहां लाया गया
राष्ट्रीय खबर
अलीपुरः काफी बड़ा काफिला, बड़ी कारें, सुरक्षा गार्ड, एक के बाद एक। बीच में एक पिकअप ट्रक। यह सब देखकर आम नागरिकों के जेहन में सवाल उठ गया था। जनता के बीच चर्चा की वजह से यह सूचना मीडिया तक पहुंची थी। तब जाकर पता चला कि ग्रीन कॉरिडोर बनाये जाने का असली राज क्या है। नहीं, यह कोई वीवीआईपी या अंग स्थानांतरण नहीं है।
जीनत इस पिकअप ट्रक में है। वह जीनत, जो पिछले कुछ दिनों से वनकर्मियों की रातों की नींद छीन रही है। जीनत को कोलकाता के अलीपुर चिड़ियाघर में लाया गया। यह विशेष व्यवस्था उसके लिए है। बेशक, अब जीनत को वीवीआईपी कहना गलत नहीं होगा। क्योंकि यह बाघिन पिछले कुछ दिनों से लगभग हर मीडिया आउटलेट की सुर्खियों में रही है। जीनत को रविवार को बांकुरा से गिरफ्तार किया गया। उसे नींद की गोलियाँ देकर शांत किया गया। फिर इसे अलीपुर चिड़ियाघर लाया गया।
लेकिन नहीं, सिर्फ इसलिए कि उसे चिड़ियाघर लाया जा रहा है इसका मतलब यह नहीं है कि अब हर कोई उसे देख सकेगा। दरअसल, बहुत से लोग यह नहीं जानते कि अलीपुर चिड़ियाघर में वन्यजीवों के इलाज के लिए उत्कृष्ट सुविधाएं हैं। वहाँ डॉक्टरों की एक टीम है। परिणामस्वरूप, यदि कोई जंगली जानवर पकड़ा जाता है या घायल पाया जाता है, तो उसे अलीपुर चिड़ियाघर के ‘अस्पताल’ में लाना अनिवार्य है।
इस मामले में, योनि की नियमित स्वास्थ्य जांच की जाएगी। इसीलिए उसे अलीपुर चिड़ियाघर लाया गया। इसके अलावा, ज़ीनत को कुछ देखभाल और रखरखाव भी प्रदान किया जाएगा। वह पिछले कुछ दिनों से अपरिचित जंगलों में भटकते-भटकते थक गया था। इसलिए वह भोजन और आराम से ताकतवर हो जाएगा। जीनत को आम जनता की नजरों से दूर एक विशेष बाड़े में रखा जाएगा। जहां वह सुरक्षित रूप से रह सके। सूत्रों के अनुसार, उड़ीसा वन विभाग के अधिकारी भी अलीपुर चिड़ियाघर में मौजूद हैं। जीनत के ठीक होने पर उसे ओडिशा स्थित उसके ‘घर’ वापस भेज दिया जाएगा। घर से लड़की घर वापस आ जाएगी।
सिमलीपाल के जंगल से निकलने के बाद वह झारखंड होते हुए पश्चिम बंगाल आ पहुंची थी। सात दिनों से अथक प्रयास के बाद अंततः उसे बेहोश करने में कामयाबी मिली थी। होश में लौटते ही उसके स्वास्थ्य की जांच की गयी और पूरी तरह स्वस्थ पाया गया। आम तौर पर इस किस्म के दौर से गुजरने के बाद बाघ अथवा दूसरे वन्य प्राणी जबर्दस्त मानसिक तनाव की स्थिति से गुजरते हैं, जो उनकी सेहत के लिए खतरनाक होता है। अब यहां के कुशल चिकित्सकों की नजर में देखभाल का काम पूरा होने के बाद उसे दोबारा सिमलीपाल के जंगल में भेज दिया जाएगा।