पुरानी कहावत है कि काठ की हांडी बार बार चूल्हे पर नहीं चढ़ती है। संसद का भी इनदिनों कुछ ऐसा ही हाल है। दोनों तरफ से पहलवान अपने विरोधी को कोई दांव लगाने का मौका नहीं दे रहे हैं।
सरकारी पक्ष चाहता है कि सदन के भीतर अडाणी का नाम भी कोई ना ले तो दूसरी तरफ विपक्ष हर रोज यही नाम लेकर सदन का माहौल गरमा देती है। वैसे असली मुद्दे से भटकाने का खेल भी हो रहा है पर पुराने अनुभव की वजह से अब विपक्ष इस किस्म के जाल में फंस नहीं रहा है। उदाहरण के लिए निशिकांत दुबे के बयान को लें।
उन्होंने विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा और उन पर अरबपति अमेरिकी परोपकारी जॉर्ज सोरोस के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया। इस पर हंगामा हुआ और लोकसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। कांग्रेस ने भी उद्योगपति गौतम अडाणी से जवाबदेही की मांग करते हुए संसद के बाहर अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
राहुल गांधी, उनकी बहन और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और अन्य विपक्षी सदस्यों ने संसद परिसर में काले मास्क पहनकर मार्च किया, जिस पर लिखा था मोदी अडाणी भाई भाई। सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले विरोध प्रदर्शन हुए। कांग्रेस और अन्य विपक्षी सांसदों ने अडाणी और अमेरिका में अन्य पर रिश्वतखोरी के आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग करते हुए नारे लगाए, जिसके बाद प्रियंका ने संवाददाताओं से कहा, सरकार अडाणी पर संसद में चर्चा करने से डरती है।
गुरुवार को भाजपा ने संसद के अंदर और बाहर समन्वित हमला किया और राहुल और कांग्रेस पर नरेंद्र मोदी सरकार को अस्थिर करने के लिए विदेशी संस्थाओं के साथ साजिश रचने का आरोप लगाया। लोकसभा में दुबे ने आरोप लगाया कि राहुल और उनकी पार्टी के सोरोस से संबंध हैं, जो भाजपा नेता के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास कर रहे थे।
झारखंड के गोड्डा से सांसद दुबे ने शून्यकाल के दौरान सदन में आकर नारे लगाए, कांग्रेस का हाथ सोरोस के साथ है। विरोध कर रहे विपक्षी सांसदों ने राहुल के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के लिए दुबे के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। हंगामे के बीच दुबे सदन को दिन भर के लिए स्थगित करने से पहले एक मिनट से भी कम समय तक बोलने में सफल रहे। कांग्रेस जॉर्ज सोरोस के साथ मिली हुई है। क्या सोरोस ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के लिए भुगतान किया या नहीं? दुबे ने एक्स पर पोस्ट किया, जिसमें सदन में बोलते हुए खुद का एक वीडियो संलग्न किया।
उन्होंने पूछा, सोरोस ने 1,000 भारतीय बच्चों को विदेश में पढ़ने के लिए भुगतान किया, उनमें से कितने कांग्रेस नेताओं के बच्चे हैं? कुल मिलाकर माना जा सकता है कि यह दरअसल विरोधियों को भटकाने का एक दांव था, जो विफल रहा।
दूसरी तरफ राज्यसभा में अभिषेक मनु सिंघवी के आसन से पचास हजार रुपये पाने की जानकारी खुद जगदीप धनखड़ ने दी और कहा कि इसकी जांच की जा रही है।
यह दलील भी अजीब है। राज्यसभा में सुरक्षा सरकार की, वहां सीसीटीवी लगे हैं। सैकड़ो कर्मचारी काम करते हैं तो इसे समझने के लिए कोई खास वैज्ञानिक जानकारी तो नहीं चाहिए। खुद अभिषेक मनु सिंघवी ने भी इसे हास्यास्पद कहा और असली मुद्दे को भटकाने की साजिश कह दी।
इसी बात पर फिल्म हवस का एक गीत याद आ रहा है। इस गीत को लिखा था सावन कुमार ने और संगीत में ढाला था उषा खन्ना ने। इस गीत को मोहम्मद रफी ने अपना स्वर दिया था। गीत के बोल इस तरह हैं।
तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम, आज के बाद
तेरे मिलने को न आएंगे सनम, आज के बाद
तेरी गलियों में ना …
तू मेरा मिलना … तू मेरा मिलना समझ लेना एक सपना था
तुझको आखिर मिल ही गया जो तेरा अपना था
हम को दुनिया में समझना ना सनम, आज के बाद
तेरे मिलने को ना आएंगे सनम, आज के बाद
गिर के आएंगी …
गिर के आएंगी घटाएं फिर से सावन की
तुम तो बाहों में रहोगी अपने साजन की
गले हम ग़म को लगाएंगे सनम, आज के बाद
तेरे मिलने को ना आएंगे सनम, आज के बाद
अब झारखंड की भी बात कर लें तो हेमंत मंत्रिमंडल में विभागों का बंटवारा होने के ठीक पहले कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल का एक पत्र मीडिया तक आ गया।
इस पत्र में कांग्रेस की तरफ से किसे कौन सा विभाग मिलेगा, इसकी चर्चा की गयी थी। साफ हो गया कि सरकार के अंदर भी भाजपा की पैठ है, जो उन सरकारी सूचनाओं को भाजपा तक पहुंचाते हैं, जिससे हेमंत सरकार परेशान हो। अब हेमंत इस जाल में दोबारा फंसेंगे नहीं क्योंकि वह भी बता चुके हैं कि तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम।