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परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध

राज्यसभा में देश के परमाणु संयंत्रों पर प्रश्नकाल में चर्चा

  • संयंत्रों का नियमित सर्वेक्षण होता है

  • सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध किये गये हैं

  • हर पांच साल में पंजीकरण किया जाता है

नयी दिल्लीः सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि देश के परमाणु संयंत्र पूरी तरह से सुरक्षित है और उनकी निगरानी तथा निरीक्षण नियमित अंतराल पर निरंतर जारी रहता है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंहने सदन में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि किसी भी परमाणु संयंत्र की स्थापना और संचालन में सुरक्षा प्रथम और उत्पादन बाद में का मंत्र अपनाया जाता है।

उन्होंने बताया कि देश के सभी परमाणु संयंत्रों की स्थापना में बाहरी खतरों का ध्यान रखा गया है और वे विदेशी भूमि से सैंकड़ों किलोमीटर की दूरी पर है। संयंत्रों की सुरक्षा में राडार तथा प्रक्षेपास्त्रों की तैनाती भी की गयी है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्ष में सभी परमाणु संयंत्रों का 1000 बार लघु सर्वेक्षण किया गया है।

किसी भी संयंत्र में प्रत्येक छह महीने में निरीक्षण किया जाता है और प्रत्येक पांच वर्ष में सभी तरह से पंजीकरण का नवीनीकरण होता है। एक अन्य पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि तारापुर परमाणु संयत्र और कलपाक्कम परमाणु संयंत्र समेत सभी संयंत्रों के संचालन में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जाती है।

उन्होंने बताया कि परमाणु संयंत्रों की स्थापना में विस्थापित होने वाले परिवारों के लोगों को नौकरियों में आरक्षण दिया जाता है और गैर तकनीकी नौकरियों में छूट भी जाती है। उन्होंने कहा कि यह एक निरंतर चलने वाली व्यवस्था है और प्रशासन में इसका विशेष प्रावधान है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि इजरायल- फिलीस्तीन विवाद में भारत द्वि राष्ट्र सिद्धांत पर कायम है और आतंकवाद के किसी भी स्वरुप की निंदा करती है। श्री जयशंकर ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान फिलीस्तीन पर भारत के रुख से संबंधित एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि फिलीस्तीन की मदद के लिए 50 लाख डालर का वार्षिक योगदान किया जाता है।

पहले यह राशि 10 लाख डालर होती थी। उन्होंने कहा कि इसके साथ भारत आतंकवाद के किसी भी स्वरुप की कड़ी निंदा करता है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश को आतंक के पीड़ति होने पर प्रतिक्रिया का अधिकार है। उन्होंने कहा कि भारत से सैन्य निर्यात राष्ट्र हित से प्रेरित है और विभिन्न क्षेत्रों के लिए हमारी प्रतिबद्धता है।

सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि विभिन्न स्तर पर न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने सदन में प्रश्नकाल एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा बढ़ाने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास लंबित नहीं है।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 65 वर्ष, उच्च न्यायालयों में 62 वर्ष और निचले न्यायालयों में 60 वर्ष है। उन्होंने कहा कि सरकार का इसमें बदलाव करने का कोई विचार नहीं है। श्री मेघवाल ने कहा कि सभी न्यायाधिकरणों, विभिन्न आयोगों और जांच समितियों में न्यायाधीशों की नियुक्ति संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार की जाती है।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में गुरुवार को कहा कि राजमार्गों के निर्माण में कमी को लेकर सरकार गंभीर है और इसमें गड़बड़ी करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। श्री गडकरी ने प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे देश का सबसे लंबा राजमार्ग है।

इस एक्सप्रेस वे से लोग दिल्ली से 12 घंटे में मुंबई पहुंच सकेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर सड़कें धंस गई है, लेकिन नीचे की सतह सही है और इसमें सही सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। इस मार्ग की मरम्मत की दस साल की जिम्मेदारी ठेकेदार के पास है।  उन्होंने कहा कि सड़कों की कमी आने पर चार ठेकेदारों को जिम्मेदार ठहराकर उनको नोटिस दिया गया है और कार्रवाई की जाएगी। श्री गडकरी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल की ओर से पूछे गये प्रश्न का जवाब दे रहे थे।

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