मणिपुर संकट पर दिल्ली तक का माहौल बहुत गरम
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः पिछले कुछ हफ्तों में मणिपुर में हिंसा बढ़ने के बीच, कांग्रेस ने सोमवार को मैतेई और कुकी ज़ो समुदायों के बीच विभाजन को हल करने में केंद्र की ‘विफलता’ को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की, जिसने मई 2023 से 240 से अधिक लोगों की जान ले ली है।
प्रमुख विपक्षी दल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर का दौरा करने और राज्य के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करने का आग्रह किया। कांग्रेस ने राज्य में पूर्णकालिक राज्यपाल की अनुपस्थिति को भी रेखांकित किया। इस साल जुलाई में अनुसुइया उइके को मणिपुर से हटा दिया गया था और असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को राज्य का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।
पार्टी ने सरकार को ये कदम उठाने के लिए संसद सत्र शुरू होने से पहले 25 नवंबर तक की समयसीमा भी तय की है। दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पार्टी के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश, मणिपुर कांग्रेस प्रमुख के. मेघचंद्र सिंह और एआईसीसी के राज्य प्रभारी गिरीश चोडांकर ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के तत्काल इस्तीफे की भी मांग की।
श्री रमेश ने कहा, 3 मई 2023 से मणिपुर जल रहा है और प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के विभिन्न देशों का दौरा कर रहे हैं, उपदेश दे रहे हैं, लेकिन मणिपुर आने का समय नहीं निकाल पा रहे हैं। इसलिए हमारी पहली मांग है कि प्रधानमंत्री संसद सत्र से पहले मणिपुर का दौरा करें और राजनीतिक दलों, राजनेताओं, नागरिक समाज समूहों और राहत शिविरों में रह रहे लोगों से मिलें।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने यह भी मांग की है कि पीएम मणिपुर के एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मिलें और फिर राष्ट्रीय स्तर पर एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाएं। पार्टी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर को गृह मंत्री को आउटसोर्स कर दिया है।
दूसरी तरफ मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह द्वारा सोमवार शाम को बुलाई गई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की एक महत्वपूर्ण बैठक में बड़ी संख्या में लोग अनुपस्थित रहे, जिसमें 45 विधायकों में से केवल 27 व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए और एक वर्चुअली शामिल हुआ, जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर बढ़ती दरार पर प्रकाश डाला गया क्योंकि राज्य जातीय हिंसा की एक नई लहर से जूझ रहा है।
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि जहां छह विधायकों ने अपनी अनुपस्थिति के लिए चिकित्सा कारणों का हवाला दिया, वहीं एक मंत्री सहित 11 विधायक बिना किसी स्पष्टीकरण के बैठक में शामिल नहीं हुए। अनुपस्थित रहने वालों में बीरेन सिंह के कैबिनेट सहयोगी वाई खेमचंद सिंह भी शामिल थे। 10 आदिवासी विधायकों में से कोई भी – भाजपा के सात और तीन निर्दलीय – बैठक में शामिल नहीं हुए।