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भारत-भूटान सीमा पर शुरू हुआ पहला एकीकृत चेकपोस्ट

भूटान के प्रधानमंत्री और असम के राज्यपाल उद्घाटन समारोह में शामिल हुए

  • दोनों देशों के बीच व्यापार में काफी फायदा होगा

  • गौरव गोगोई ने असम सरकार की आलोचना की

  • सीएजी की रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ

भूपेन गोस्वामी

गुवाहाटी : असम में भारत-भूटान सीमा पर पहले एकीकृत चेक पोस्ट  की शुरुआत हो गई है। यह चेकपोस्ट असम के दारंगा में बनाया गया है। भारत-भूटान सीमा पर बना यह पहला एकीकृत चेक पोस्ट है। इसके बनने से दोनों देशों के बीच व्यापार में काफी फायदा होगा। असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य और भूटान के प्रधानमंत्री दाशो शेरिंग तोबगे ने इस चेकपोस्ट का गुरुवार को उद्घाटन किया।

भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने कहा, यह वास्तव में एक भारतीय सुविधा है, लेकिन हम भूटान में इसे भूटानी सुविधा, एक संयुक्त सुविधा के रूप में देखते हैं, जो व्यापार, व्यवसाय, पर्यटन और लोगों के बीच संपर्क को आगे बढ़ाएगी, जिससे भारत और भूटान के लोगों और विशेष रूप से असम और पूर्वी भूटान के लोगों के बीच दोस्ती के मजबूत संबंधों को बढ़ावा मिलेगा।

इससे पहले भारतीय भूमि बंदरगाह प्राधिकरण (एलपीएआई) के अध्यक्ष ने कहा कि आईसीपी भूटान के पूर्वी हिस्से और उत्तर पूर्व के लिए एक बड़ा बदलाव साबित होगा। आदित्य मिश्रा ने कहा, यह भूटान के महत्वपूर्ण मार्गों में से एक है , विशेष रूप से पूर्वी भूटान के लिए। वे इसे भारत की मुख्य भूमि से जोड़ने के लिए उत्सुक हैं।

हम भूटान के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए तत्पर हैं। दारंगा स्थित यह चेकपोस्ट एक ऐसी जगह पर बनी है, जहां से दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी की सुविधा बहुत बेहतर है।

दूसरी ओर, लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने पीएम-किसान योजना में धन के दुरुपयोग के लिए असम सरकार की आलोचना की है।गोगोई ने असम में पीएम-किसान योजना के तहत धन के कथित दुरुपयोग पर चिंता जताई है। अपने एक्स हैंडल पर गोगोई ने हाल ही में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में उठाए गए मुद्दों को उजागर किया।

उन्होंने इस स्थिति को राज्य में डबल इंजन सरकार द्वारा कुप्रबंधन का एक और उदाहरण बताया। गोगोई ने बताया कि वितरित की गई 567 करोड़ रुपये की बड़ी राशि में से अब तक केवल 0.24 प्रतिशत ही वसूल किया जा सका है। उन्होंने असम के मेहनती किसानों का समर्थन करने में विफल रहने के लिए सरकार की आलोचना की और आरोप लगाया कि सरकार उन्हें उनके उचित अधिकारों और लाभों से वंचित कर रही है।

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