हमास की हरकत ने अरब देशों को मजबूर किया
दुबईः इजराइल अपने पड़ोसियों पर युद्ध थोपने में भी असहज है। वे अमेरिका से खरीदे गए हथियारों से निर्दोष लोगों की हत्या कर रहे हैं। इस बार संयुक्त राज्य अमेरिका ने मध्य पूर्व के दो अन्य देशों को करोड़ों रुपये के हथियार बेचने की मंजूरी दे दी है। सऊदी अरब ने 2015 में यमन पर हमला किया था। देश की निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंकने के बाद विद्रोहियों द्वारा सत्ता पर कब्ज़ा करने के बाद रियाद ने इस तरह का ऑपरेशन बुलाया था। सना में गृह युद्ध में सऊदी अरब अकेला नहीं है।
संयुक्त अरब अमीरात सहयोगी था। इस बार अमेरिका ने इन दोनों देशों को हथियार बेचने का फैसला किया है। पेंटागन ने शुक्रवार को हथियारों की बिक्री की घोषणा की। अल अरेबिया ने बताया कि अमेरिका इन दोनों देशों को 225 मिलियन डॉलर के हथियार बेचेगा। पेंटागन ने एक अलग बयान में कहा कि सऊदी अरब और अमीरात को किस तरह के हथियार बेचे जा सकते हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि मूल रूप से व्यापारी देश अमेरिका इजरायल का साथ देने के साथ साथ इस मौके का व्यापारिक लाभ भी उठा रहा है।
बयान में कहा गया है कि अमेरिकी विदेश विभाग ने खास किस्म के टैक्टिकल मिसाइलों की बिक्री को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही रियाद और अबू धाबी कुछ अन्य उपकरण भी खरीद सकते हैं। इसके लिए उन्हें करीब 25 करोड़ 18 लाख डॉलर खर्च करने होंगे। इसके अलावा सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात अत्याधुनिक हेलफायर 2 मिसाइलें खरीद सकते हैं। इनके अलावा अन्य लॉजिस्टिक सपोर्ट खरीदने के लिए 65 करोड़ 50 लाख डॉलर खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा रियाद और अबू धाबी विभिन्न प्रकार के टैंक, मशीन गन और एंटी टैंक हथियार खरीद सकते हैं।