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एडीजी की अनुपस्थिति पर उठ गये सवाल

पुलिस मुख्यालय में मुख्यमंत्री करेंगे अपराध पर समीक्षा बैठक


  • तीन सीनियर आईपीएस छुट्टी पर गये

  • केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में भेदभाव की चर्चा

  • कुछ अफसरों को दरकिनार किया जा रहा


दीपक नौरंगी

भागलपुर: डीजीपी साहब इतना कड़क मिजाज अपने अधीनस्थ पदाधिकारी के साथ रखना कितना उचित है। कड़क रवैया अपनाना है तो अपराधियों के साथ माफियाओं के साथ अपनाइए। एडीजी स्तर के जितने भी आईपीएस पदाधिकारी है उनको डीजीपी के साथ कार्य करने में सहज महसूस क्यों नहीं होने की चर्चा बनी रहती है।

वरीय पदाधिकारियों के बीच कार्य का बंटवारा भी बहस का विषय बना हुआ है। अलग हटकर इतना कड़क मिजाज और इतनी दूरियां क्यों, सवाल उठना लाजिमी है। आने वाले 19 जुलाई को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी बढ़ते आपराधिक घटनाओं को लेकर डीजीपी साहब सहित सभी एडीजी स्तर के पदाधिकारी के साथ एक अहम बैठक करेंगे।

12 जुलाई शनिवार को डीजीपी साहब ने पुलिस हेडक्वार्टर में सभी एडीजी स्तर के पदाधिकारी के साथ में बैठक की, उक्त बैठक में एक एडीजी स्तर के आईपीएस पदाधिकारी की उपस्थिति ना होना पुलिस मुख्यालय के सीनियर पदाधिकारी में कई तरह की चर्चाएं देखी जा रही है। बैठक में ट्रेनिंग डीजी के बदले आईजी ट्रेनिंग बैठक में उपस्थित रहे।

वही बीएमपी के डीजी के नहीं रहने के कारण उनके स्थान पर एडीजी निर्मल कुमार आजाद को बीएमपी के डी जी की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई थी। ए के अंबेडकर बैठक में मौजूद नहीं थे। एडीजी स्पेशल ब्रांच सुनील कुमार साहब भी छुट्टी पर है। उनके पास एडीजी सीआईडी की भी अतिरिक्त जिम्मेदारी है। उनके छुट्टी में रहने के कारण उनकी जगह सीआईडी के आईजी पी कन्नन साहब बैठक में उपस्थित थे। एडीजी एसटीएफ छुट्टी पर रहने के कारण इस बैठक में मौजूद नहीं थे।

एडीजी स्तर के पदाधिकारी के साथ डीजीपी की 12 जुलाई को हुई बैठक में एक चर्चा खूब होती रही की आखिर अचानक तीन आईपीएस पदाधिकारी छुट्टी पर क्यों चले गए क्या यह संजोग है या  पर्दे के पीछे की कुछ और कहानी है।

इसके बीच ही पुलिस मुख्यालय में एक ही आईपीएस को फिर दोबारा ही केंद्र प्रतिनियुक्ति जाने की इतनी जल्दी बाजी क्यों है,इस  पर सवाल उठ गये हैं। बिहार में एक आईपीएस पदाधिकारी जिन्हें तीन से चार साल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे हुआ है वह फिर से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति जाना चाहते हैं। सवाल यह उठने लगा है कि अभी हाल फिलहाल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे हैं साहब तो आपको इतनी जल्दी बाजी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति लौटने की क्यों है।

बिहार में कई आईएएस और कई आईपीएस पदाधिकारी में यह चर्चा होती है जिनके पास राज्य सरकार में पैरवी होती है वैसे पदाधिकारी को नौ ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट आसानी से क्यों मिल जाता है। इस पर बिहार के मुखिया नीतीश कुमार की कार्यशैली पर भी सवाल उठना लाजिमी है। आखिर बार-बार ही एक ही पदाधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति क्यों जाना चाहते हैं बिहार राज्य सरकार सहित जांच एजेंसी को ऐसे पदाधिकारी की कार्यशैली पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

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