दिल की मानें या चेहरे की माने, यह बड़ा कंफ्यूजन है। दरअसल सुनने पर दोनों ही बातें सही सी लगती है। जी हां मैं अभी सबसे पहले अग्निवीर की बात कर रहा हूं। इस पर चार किस्म के बयान आ गये हैं और हमलोग अपने अपने स्तर पर औसत निकालकर क्या सही है और क्या गलत है, यह समझ सकते हैं। राहुल गांधी ने कहा शहीद अग्निवीर के परिवार को कोई मुआवजा नहीं मिला है।
उसके बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा मे कहा कि राहुल गांधी झूठ बोल रहे हैं क्योंकि अग्निवीर के परिवार को मुआवजा दिया जा चुका है। इसके बाद सेना की तरफ से भी बयान आया कि अग्निवीर के बकाये का भुगतान आंशिक तौर पर किया जा चुका है। इसके बाद शहीद के पिता ने कहा कि जो पैसा मिला है, वह दरअसल जीवन बीमा का पैसा है। पंजाब सरकार ने मदद की है पर केंद्र सरकार अथवा सेना से कुछ नहीं मिला है। अब इसमें सच क्या है और झूठ क्या है, यह हर कोई अपने अपने तरीके से समझ सकता है।
इससे आगे बढ़े तो नीट यूजी 2024 परीक्षा का मसला है। पहले शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सीना ठोंककर कहा कि कोई पेपर लीक नहीं हुआ है। अब सीबीआई एक एक कर इस पेपर लीक कांड के अभियुक्तों को गिरफ्तार कर रही है। गनीमत है कि श्री प्रधान ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी ले ली है।
लेकिन असली सवाल अनुत्तरित है कि जिन मेधावी छात्रों को इस साजिश के तहत ठगा गया और उन्हें उनके हक से वंचित किया गया, उनके साथ न्याय कौन करेगा। कोई भी उस व्यक्ति के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहा है तो मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ होते हुए यहां पहुंचा है और हर बार उसके साथ पेपर लीक अथवा भ्रष्टाचार के मामले जुड़ते रहे हैं।
वहां से बिहार चलते हैं, जहां आये दिन पुल गिर रहे हैं और सरकार ने अब इसके लिए इंजीनियरों को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें निलंबित करना प्रारंभ कर दिया है। सरकारी विभागों में पदस्थापित इंजीनियरों की गुणवत्ता पर कोई बात नहीं करता।
ऐसे इंजीनियरों से किसी पुल की डिजाइन बनवा कर देख लिया जाए कि उन्हें काम कितना आता है। वरना सारे लोग तो ठेका में परसेंटेज लेने की कला खूब जानते हैं। जाहिर है कि सड़क उखड़ेगी और पुल टूटेगा क्योंकि इस पैसे से ही परसेंटेज ऊपर तक पहुंचता है।
इसी बात पर फिल्म सच्चा झूठा का यह गीत याद आने लगा है। इस गीत को लिखा था इंदिवर ने और संगीत में ढाला था कल्याण जी आनंद जी ने। इसे किशोर कुमार ने अपना स्वर दिया था। गीत के बोल कुछ इस तरह है।
दिल को देखो, चेहरा न देखो
चेहरे ने लाखों को लूटा
हाँ, दिल सच्चा और चेहरा झूठा,
दिल सच्चा और चेहरा झूठा
जो अपनी सच्ची सूरत दिखा दें, ऐसे नहीं दुनियावाले
सब ने ही अपने चेहरों के आगे, झूठ के परदे हैं डाले
मीठी होठों पे बात, दिल में रहती है खात
दिल का होंठों से नाता ही झूठा
हाँ, दिल सच्चा और चेहरा झूठा,
दिल सच्चा और चेहरा झूठा
तन से तो आज़ाद हम हो गये हैं, मन से गई ना गुलामी
परदेशी भाषा और वेष को ही, देते हैं अब तक सलामी
भूलकर अपना रंग, सीखे औरों का ढंग
अपनेपन का चलन हमसे छूटा
हाँ, दिल सच्चा और चेहरा झूठा,
दिल सच्चा और चेहरा झूठा
मर्ज़ी तुम्हारी तुम कुछ भी समझो, जो हम हैं वो हम ही जाने
रंग रूप देखें तो देखें ज़माना, हम प्यार के हैं दीवाने
पूजे धन को संसार, हमे मन से है प्यार
धन किसी बात पर हमसे रूठा
हाँ, दिल सच्चा और चेहरा झूठा,
दिल सच्चा और चेहरा झूठा
अब लौटकर झारखंड आ जाए तो अपने हेमंत भइया फिर से कुर्सी पर बैठ चुके हैं और भाजपा का चंपई सोरेन प्रेम उछाल मार रहा है। अब चंपई सोरेन का कौन करीबी भाजपा के संपर्क में था, यह लाख टके की बात है क्योंकि अचानक ही दिल्ली से फोन पर मुख्यमंत्री बनने का आग्रह यूं ही नहीं आया था। अंदरखाने के ऐसे खेलों से अब कांग्रेस भी अभ्यस्त हो चुकी है।
लेकिन असली सवाल ईडी के आरोपों का है, जिन्हें हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि जमीन ही हेमंत के नाम पर नहीं है तो बाकी सब बातें बेमानी है। अब देखना है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के मामलों का क्या होता है। वकीलों के एक समूह, जो आम आदमी पार्टी से जुड़े हैं, ने भी दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में शिकायत कर दी है। दूसरी तरफ तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा है कि अब जज लोग भी केंद्र सरकार से डरने लगे है। कुल मिलाकर हर कोई चेहरा को झूठा बताने पर जुटा है।