बहरागोड़ा इलाके में हाथियों और इंसानों के टकराव की स्थिति
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विभाग जुटा है गेस्ट हाउस बनाने में
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दलमा अभयारण्य उपेक्षा का शिकार
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इंसानी बस्ती में बार बार आ रहे हैं हाथी
वी कुमार
चाकुलियाः जमशेदपुर के आस पास जंगल होने की वजह से वहां वन्य प्राणियों की भी मौजूदगी प्राचीन काल से रही है। रांची से जमशेदपुर जाते वक्त मुख्य मार्ग पर ही दलमा अभयारण्य है। जमशेदपुर शहर से करीब दस किलोमीटर की दूरी पर बने इस अभयारण्य को एक बेहतर वन्य जीवन पर्यटन स्थल भी मा
ना जाता है। इसके अलावा सिंहभूम के अनेक इलाकों के घने जंगलों के बीच हाथियों के आने जाने का मार्ग है। इन इलाकों में भी खनन कार्य ने हाथियों के जीवन को बाधित किया है। 1975 में इस अभयारण्य का उद्घाटन किया गया था और इसमें भारतीय हाथियों की एक महत्वपूर्ण आबादी है। वन विभाग की उपेक्षा के कारण इस अभयारण्य के प्राय समाप्त हो जाने के कारण हथियो के जीवन में घोर संकट उत्पन हो गया है। हाथी अपने भोजन और पानी के लिए इधर उधर भटक रहे है।
इस क्रम में झारखंड के बहरागोड़ा विधान सभा क्षेत्र में क़रीब डेढ़ सौ हाथियो का समूह निवास कर रहा है। वैसे इस इलाके में भी जोरदार तरीके से जंगलों की कटाई हुई है। वन विभाग के अधिकारियों का इस पर कोई ध्यान नहीं है। जंगल कम होने की वजह से वहां के तमाम जंगली जानवरों के समक्ष खाने-पीने का संकट उत्पन्न हो गया है।
इसी वजह से ये जंगली जानवर भी रिहायशी क्षेत्रों में भोजन और पानी की खोज में आने लगे है। इससे क्षेत्र के लोगो में भय का वातावरण बना हुआ है। आये दिन इन प्राणियो द्वारा जाने अनजाने में नुक़सान किया जा रहा है। दूसरी और इस समस्या के समाधान के लिए बनाया गया वन विभाग पार्क और गेस्ट हाउस बनाने में व्यस्त है।
अभी के हाल के ही दिनों में वन विभाग द्वारा बहरागोड़ा विधान सभा में क़रीब 25-30 करोड़ लागत की दो पार्क एवं दो से तीन गेस्ट हाउस बनाया जा रहा है। ऐसे निर्माण कार्यों में विभागीय अधिकारियों की रूचि की वजह जगजाहिर है। दूसरी तरफ इन जंगली जानवरों और जंगल की सुरक्षा कैसे हो, इस पर विभाग का कोई ध्यान नहीं है।