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अहंकार और बड़बोलेपन को खारिज कर दिया अमेठी ने

किशोरी मैजिक में स्मृति ईरानी धराशायी

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः किशोरी मैजिक के आगे भाजपा की तिकड़में काम नहीं आयी। इस तरह कांग्रेस ने अपने गढ़ अमेठी पर फिर से लगभग कब्जा कर लिया है। एक समय यही अमेठी कांग्रेस का औसत कहा जाता था। लेकिन 2019 में बदलाव आया। उस सीट से स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराकर जीत हासिल की। पांच साल बाद किशोरी लाल शर्मा के हाथों फिर बदलने वाली है वो तस्वीर।

चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक, शाम 4 बजे तक कांग्रेस प्रत्याशी किशोरलाल अमेठी लोकसभा सीट से काफी आगे हैं। अब तक वह अपनी निकटतम भाजपा उम्मीदवार स्मृति से 1 लाख 18 हजार से ज्यादा वोटों से आगे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इस अंतर से साफ है कि अमेठी ने एक बार फिर कांग्रेस पर भरोसा जताया है।

जब तक कोई बड़ी घटना न हो किशोरीलाल की जीत लगभग तय है। गांधी परिवार का अमेठी से रिश्ता बहुत पुराना है। 1977 में राजीव गांधी के भाई संजय पूर्वी उत्तर प्रदेश की इस सीट से उम्मीदवार बने। तब दिल्ली के मसनद में इंदिरा गांधी की सरकार थी। लेकिन उसका गद्दा डोल रहा था। देशभर में इंदिरा विरोधी हवा चलने लगी।

संजय गांधी इसे झेल नहीं पाये लेकिन तीन साल बाद 1980 के लोकसभा चुनाव में संजय अमेठी से सांसद बन गए। विमान दुर्घटना में संजय की असामयिक मृत्यु के बाद 1981 में अमेठी में उपचुनाव हुआ। राजीव वह चुनाव जीत गए। 1991 के लोकसभा चुनाव के दौरान लिट्टे बम विस्फोट में राजीव की मृत्यु के बाद, कांग्रेस ने राजीव के करीबी सहयोगी सतीश शर्मा को अमेठी से मैदान में उतारा। वह जीता।

इसके बाद 1996 में सतीश ने अमेठी से जीत हासिल की लेकिन 1998 में हार गए। लेकिन एक साल बाद फिर से अमेठी में हवा बदलने लगी। इस बार दरअसल स्मृति ईरानी ने स्थानीय जनता को अपनी हरकतों से काफी नाराज कर लिया था। दूसरी तरफ किशोरी लाल लगातार जनता से जुड़कर काम करते रहे।

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