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अभियान में 140 कुत्तों को बचाया, 5 गिरफ्तार

असम पुलिस ने कुत्तों की तस्करी गिरोह का पर्दाफाश किया


  • हर साल कटते हैं 30 हजार कुत्ते

  • 50 रु में पकड़कर 4 हजार में बिक्री

  • नगालैंड और मिजोरम में कुत्ते का मांस महंगा


भूपेन गोस्वामी

गुवाहाटी : असम से मिजोरम राज्य में कुत्तों की तस्करी का मामला सामने आया है । यहां वाहनों की चेकिंग के दौरान पुलिस को एक गाड़ी के अंदर 140 से ज्यादा कुत्ते मिले थे। इसके बाद डॉग स्मगलिंग के आरोप में पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस ने 29 मई को 22 और 31 मई 2024 को 25 कुत्तों को बरामद किया।तस्करी में शामिल पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है और तीन वाहन जब्त किए गए हैं।

इससे पहले मई में बराक घाटी स्थित पशु कल्याण पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों द्वारा उठाए गए सक्रिय कदमों के आधार पर कछार जिले में तस्करों के हाथों से 14 कुत्तों को बचाया गया था।

कछार के एसपी नुमल महत्ता ने बताया कि इन कुत्तों को आईएसबीटी के पास रामनगर इलाके से बरामद किया गया और पूछताछ के लिए दो लोगों को हिरासत में लिया गया है। उन्होंने आगे बताया कि इन कुत्तों को घाटी के विभिन्न हिस्सों से उठाया गया था।

शुरुआती जांच से पता चलता है कि कुत्तों को मिजोरम ले जाया जा सकता था।रिपोर्ट के मुताबिक, बराक घाटी में करीमगंज और कछाड़ जिले की सड़कों पर घूम रहे कुत्तों को पकड़ कर उन्हें पड़ोसी राज्य मिजोरम में बेचा जा रहा था।  पुलिस ने बताया है कि यहां कुत्तों का मांस काफी महंगा बिकता है, इसलिए मुनाफा कमाने के चक्कर में कुत्तों की तस्करी की जा रही है।

बकौल पुलिस, तस्कर कुत्तों को गाड़ियों में लादकर मिजोरम ले जाते हैं और काफी ज्यादा मुनाफा कमा लेते हैं।  पुलिस को एक मुखबिर से कुत्तों की तस्करी की जानकारी मिली थी।  बताए गए स्थान पर पुलिस पहुंची और जांच शुरू की गई।

गाड़ियों की चेकिंग के दौरान पुलिस को एक गाड़ी दिखी. इस गाड़ी के अंदर 140 से ज्यादा कुत्तों को ले जाया जा रहा था।  कुत्तों को बोरियों में बंद करके रखा गया था।  कुत्तों की बरामदगी के बाद पुलिस ने 5 लोगों से पूछताछ की।  उन्होंने बताया कि वो इन कुत्तों को मिजोरम भेजने वाले हैं। पूछताछ के बाद पुलिस ने 5 को गिरफ्तार कर लिया।

नगालैंड में कुत्ते और उसके मांस की बिक्री पर पाबंदी लगने के बाद स्थानीय लोग नाराज हैं। लोगों का कहना है कि कुत्ते का मांस वो बरसों से खा रहे हैं, खान-पान पर पाबंदी लगाना गलत है। वहीं, मांस के लिए कुत्तों पर हो रही क्रूरता पर कुछ संगठन लंबे समय से आवाज उठाते आ रहे हैं। कुत्ते का मांस सबसे ज्यादा नगालैंड में बिकता है।

इसके अलावा मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, असम और पश्चिम बंगाल के कुछ पहाड़ी इलाकों में खाया जाता है। नगालैंड और असम की सीमा पर बसा दीमापुर कुत्ते के मांस का सबसे बड़ा मार्केट है। इसी मार्केट से पूरे पूर्वोत्तर राज्यों में कुत्तों के तस्करी के तार तार जुड़ते हैं। जानकार बताते हैं कि कई राज्यों से चोरी छिपे कुत्तों की तस्करी होती है।

दीमापुर के कसाई खानों में कुत्ते ले जाए जाते हैं और यहीं से कुत्तों का मांस मार्केट में बिकता है। बताया जाता है कि कुत्तों को दीमापुर और मिजोरम के मार्केट में लाने का काम कई छोटे-छोटे गिरोह को दिया जाता है। ये गिरोह असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर से कुत्तों को पकड़कर नगालैंड के दीमापुर मार्केट में लाते हैं।

कुत्तों को पकड़ने का रेट 50 से 150 रुपये तक दिया जाता है। दीमापुर मार्केट में कुत्ते एक हजार रुपये तक बिकते हैं। सबसे ज्यादा कुत्ते का मांस त्योहारों पर बिकता है। इस दौरान 4 हजार रुपये तक मांस का रेट हो जाता है। कुछ लोग तो यह भी बताते हैं कि कुत्ते पकड़ने वाले लोग कई बार पालतू कुत्तों को भी पकड़कर दीमापुर के मार्केट में बोरियों में बंद कर ले जाते है। नगालैंड के होटल और भोजनालयों में भी कुत्ते का मांस चावल के साथ बेचा जाता है।

कुत्तों पर हो रही क्रूरता पर आवाज उठाने वाली संस्था ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल के मुताबिक, हर साल 30 से 40 हजार कुत्तों की तस्करी नगालैंड में होती है। बता दें कि नगालैंड सरकार ने राज्य में कुत्ते और उसके मांस के आयात और बिक्री पर बैन लगा दिया था। बीते कुछ समय से कुत्तों के मांस की बिक्री पर पाबंदी लगाने को लेकर कुछ संगठन आवाज उठा रहे थे।

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