नरेंद्र मोदी ने करीमनगर में जो बयान दिया, वह सभी को हैरान करने वाला साबित हुआ है। इसके साथ ही चुनावी मौसम में इस बयान के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि अचानक राहुल गांधी ने अडाणी और अंबानी का नाम लेना बंद क्यों कर दिया। क्या उन्हें टेंपो में भरकर काला धन मिल गया है।
इस बयान का एक सीधा अर्थ इन दोनों उद्योगपतियों के पास काला धन का होना है, जिसका एक हिस्सा राहुल गांधी को मिला है। इसका दूसरा अर्थ यह है कि नरेंद्र मोदी अब भी झूठ बोल रहे हैं क्योंकि राहुल गांधी के भाषणों में लगातार चंद पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया जाता रहा है।
तने दिनों तक इस मुद्दे पर चुप्पी के बाद श्री मोदी ने ऐसा क्यों कहा, यही हैरानी की बात है। भारतीय उद्योग जगत के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस टिप्पणी पर आश्चर्य व्यक्त किया। राहुल, अतीत में, अक्सर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला करने के लिए उद्योगपतियों के नाम का इस्तेमाल करते थे, जिसे उन्होंने सूट-बूट की सरकार बताया था।
यह बयान आश्चर्यजनक है क्योंकि पीएम भारत के दो प्रमुख व्यापारियों के बारे में बात कर रहे हैं। एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा। तेलंगाना में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कांग्रेस और व्यापारिक घरानों के बीच पैसे के आदान-प्रदान की संभावना का भी संकेत दिया।
शेयर बाजार प्रतिभागियों का कहना है कि प्रधानमंत्री विपक्षी दलों की ओर से बड़े व्यवसायों के संबंध में स्पष्ट चुप्पी की ओर इशारा कर रहे थे। यदि आप इस देश में एक विश्वसनीय राजनीतिक ताकत बनना चाहते हैं, तो आपको व्यवसाय समर्थक होना चाहिए क्योंकि निजी क्षेत्र वृद्धिशील नौकरियां पैदा करता है।
व्यवसाय-सरकारी संपर्क अपरिहार्य है, और किसी भी राजनीतिक ताकत के पास कभी न कभी सरकार पर हमला होगा और नागरिकों के लिए अच्छा करने के लिए व्यवसायों के साथ अच्छे संबंधों का उपयोग किया जाएगा। संभवत: विपक्ष को कुछ ज्ञान हुआ है, ऐसा अल्फानिटी फिनटेक के सह-संस्थापक यू आर भट ने कहा।
दूसरों का कहना है कि इस तरह के बयान चुनाव की गर्मी में दिए जाते हैं और इसमें कोई बड़ी बात नहीं समझी जानी चाहिए। एक अन्य सीईओ ने कहा, चुनाव की गर्मी के कारण यह चाय की प्याली में तूफान हो सकता है। भारतीय उद्योग परिसंघ, एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने इस कहानी पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
दूसरी तरफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दी कि वह इस बात की जांच सीबीआई या ईडी से कराएं कि क्या व्यवसायी अडाणी और अंबानी ने उनकी पार्टी को काला धन भेजा है और तंज कसा कि क्या मोदी अपने व्यक्तिगत अनुभव से बोल रहे हैं कि वे अपना पैसा भेजते हैं एक टेम्पो में।
उन्होंने मोदी से यह भी पूछा कि क्या वह डरे हुए हैं। गांधी ने वीडियो संदेश में कहा, मोदी जी, क्या आप थोड़ा डरे हुए हैं? आम तौर पर आप बंद दरवाजों के पीछे अडाणी और अंबानी के बारे में बात करते हैं, लेकिन पहली बार आपने सार्वजनिक रूप से अडाणी और अंबानी के बारे में बात की है। उन्होंने कहा, एक काम करो-सीबीआई, ईडी को उनके पास भेजो और पूरी जांच करो और डरो मत।
इससे पहले भी राहुल गांधी यह कह चुके हैं कि अब किसी भी मंच पर देश नरेंद्र मोदी को रोते हुए भी देख सकता है। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि वह अंदर से बहुत भयभीत है और सत्ता हाथ से जाने पर क्या होगा, यह चिंता उन्हें सताने लगी है। इस बयानबाजी के बीच मोदी के बयान को उद्योग जगत हैरत से ले रहा है क्योंकि इतने दिनों तक आरोप लगने के बाद भी श्री मोदी ने इससे पहले कभी सफाई नहीं दी थी।
एक तो वह पत्रकारों के सवालों के अब तक बचते रहे हैं और प्रायोजित साक्षातकारों में भी ऐसे सवालों का उत्तर देते रहे हैं, जिनका उत्तर कोई बच्चा भी दे सकता है। लिहाजा चुनाव के तीन चरण समाप्त होने के बाद श्री मोदी को ऐसा क्यों कहना पड़ा, यह अचरज में डालने वाली बात है।
प्रियंका गांधी ने पलटवार करते हुए भाजपा पर अरबपतियों को फायदा पहुंचाने और राष्ट्रीय संपत्ति उन्हें हस्तांतरित करने का आरोप लगाया। प्रियंका ने कहा कि प्रधानमंत्री का असली चेहरा जनता के सामने आ रहा है, इसलिए वह ऐसे बयान दे रहे हैं। पीएम मोदी को हमारा घोषणापत्र पसंद नहीं है क्योंकि हमारा घोषणापत्र केवल काम के बारे में बात करता है। श्री मोदी के पास अपना काम बताने को कुछ भी नहीं है।