भारत जोड़ो न्याय यात्रा बंगाल से बिहार के किशनगंज पहुंची
-
नीतीश प्रकरण पर कुछ भी नहीं कहा
-
भाजपा सिर्फ नफरत फैला रही है
-
यूजीसी मामले में भी विरोध होगा
राष्ट्रीय खबर
किशनगंज: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को जहां बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होने पर चुप्पी साधे रखी वहीं उत्पीड़ित एवं वंचित लोगों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जाति जनगणना कराने की मांग की।
श्री गांधी ने अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान बिहार के किशनगंज जिले में आगमन पर एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर जाति जनगणना आवश्यक है और उत्पीड़ित एवं वंचित लोगों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए इसे जरूर कराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा शोषितों और वंचितों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध रही है।
कांग्रेस नेता ने अपने संबोधन के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होने और बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिलाने जैसे नाटकीय घटनाक्रम पर चुप्पी साधे रखी। उन्होंने कहा कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) देश में नफरत फैला रहे हैं, जिससे सामाजिक तनाव पैदा हो रहा है। वहीं, उनकी पार्टी समाज के सभी वर्गों के बीच प्रेम, भाईचारे और स्रेह बनाये रखने में दृढ़ता से विश्वास करती है।
श्री गांधी ने कहा, नफरत को नफरत से समाप्त नहीं किया जा सकता, इसलिए इसे खत्म करने के लिए मैं प्यार का संदेश फैला रहा हूं। कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने अपनी भारत जोड़ो यात्रा में न्याय शब्द जोड़कर इसका नाम बदलकर भारत जोड़ो न्याय यात्रा कर दिया है। देश के आम आदमी के लिए न्याय की जरूरत है और वह इसके लिए प्रयास करते रहेंगे। उन्होंने मणिपुर की ंिहसा पर चुप्पी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा और अफसोस जताते हुए कहा कि मणिपुर में इतनी ंिहसा और बड़ी संख्या में लोगों की जान जाने के बाद भी प्रधानमंत्री ने सांत्वना का एक शब्द तक नहीं कहा।
इस बीच नयी दिल्ली से जारी बयान के मुताबिक राहुल गांधी ने कहा है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग को नौकरियों में मिलने वाले आरक्षण को खत्म करने की साजिश चल रही है और कांग्रेस कभी ऐसा नहीं होने देगी। श्री गांधी ने सोमवार को एक्स पर पोस्ट कर कहा, यूजीसी के नए ड्राफ्ट में उच्च शिक्षा संस्थानों में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को मिलने वाले आरक्षण को ख़त्म करने की साजिश हो रही है।
आज 45 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में लगभग 7,000 आरक्षित पदों में से 3,000 रिक्त हैं और जिनमें सिर्फ 7.1 प्रतिशत दलित, 1.6 प्रतिशत आदिवासी और 4.5 प्रतिशत पिछड़े वर्ग के प्रोफेसर हैं। आरक्षण की समीक्षा तक की बात कर चुकी भाजपा आरएसएस अब ऐसे उच्च शिक्षा संस्थानों में से वंचित वर्ग के हिस्से की नौकरियां छीनना चाहती है। उन्होंने कहा, यह सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने वाले नायकों के सपनों की हत्या और वंचित वर्गों की भागीदारी ख़त्म करने का प्रयास है। यही सांकेतिक राजनीति और वास्तविक न्याय के बीच का फर्क है और यही भाजपा का चरित्र है।
कांग्रेस के डॉ उदित राज तथा राजेश लिलोठिया ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-यूजीसी की एक गाइडलाइन आई जिसमें कहा गया कि विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर के पदों पर अनुसूचितजाति-जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं इसलिए इन पदों को अनारक्षित किया जाना चाहिए।
सरकार के इस फरमान पर कांग्रेस पार्टी ने कड़ा विरोध किया तो यूजीसी ने कहा कि हम ऐसा नहीं करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज अगर प्रोफेसर के पद खाली हैं तो उसका ये मतलब नहीं कि अनुसूचित जाति-जनजाति, ओबीसीके कैंडिडेट मौजूद नहीं हैं। कैंडिडेट मौजूद हैं लेकिन उन्हें रिजेक्ट कर दिया जाता है, ताकि पदों को डिरिजर्व कर उन्हें जनरल कैटेगरी से भरा जाए।