Breaking News in Hindi

मोदी ने सूरत डायमंड बोर्स का किया उद्घाटन

सामूहिक प्रयास का नया कीर्तिमान गढ़ गया यह भवन


  • विश्व बाजार में यह अनोखा व्यापार केंद्र

  • आधुनिक सुविधाओं का ध्यान रखा गया

  • अब सूरत का एयरपोर्ट भी इंटरनेशनल

सूरत: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में दुनिया के सबसे बड़े कॉर्पोरेट ऑफिस हब सूरत डायमंड बोर्स (एसडीबी) का रविवार को उद्घाटन किया। करीब 3400 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से निर्मित दुनिया के सबसे बड़े कॉर्पोरेट ऑफिस हब की शुरुआत के अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सहित केंद्र और राज्य के मंत्री, डायमंड बोर्स के चेयरमैन वल्लभभाई लखाणी, निदेशक मथुरभाई सवाणी, गोविंदभाई धोलकिया, लालजीभाई पटेल, सूरत डायमंड इंस्टीट्यूट के चेयरमैन दिनेशभाई नावड़िया और बोर्स कमेटी के सदस्यों सहित हीरा उद्योग के दिग्गज मौजूद रहे।

इस मौके पर श्री मोदी ने कहा कि, आज सूरत शहर की भव्यता में एक और डायमंड जुड़ गया है। और डायमंड भी छोटा-मोटा नहीं है बल्कि ये तो दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है। इस डायमंड की चमक के आगे दुनिया की बड़ी से बड़ी इमारतों की चमक फीकी पड़ रही है। अब दुनिया में कोई भी कहेगा डायमंड बुर्स, तो सूरत का नाम साथ आएगा, भारत का नाम भी आएगा।

सूरत डायमंड बुर्स, भारतीय डिजाइन, भारतीय डिजायनर्स, भारतीय मटेरियल और भारतीय कॉन्सेप्ट के सामर्थ्य को दिखाता है। ये बिल्डिंग, नए भारत के नए सामर्थ्य और नए संकल्प की प्रतीक है। मैं सूरत डायमंड बुर्स के लिए डायमंड इंडस्ट्री को, सूरत को, गुजरात को, पूरे देश को बधाई देता हूं।

मैंने कहा, पूरे देश से आर्किटेक्चडरर और स्ट्र क्चार इंजीनियर के जो स्टूडेंट्स हैं, उनको कहिए कि आप आइए और स्टडी कीजिए कि बिल्डिंग की रचना आधुनिक रूप में कैसे होती है। और मैंने ये भी कहा कि लैंड स्केपिंग कैसे हो, पंचतत्व की कल्पिना क्यार होती है, उसको देखने के लिए भी लैंडस्केप की दुनिया में जो काम करते हैं, उनको भी बुलाइए।

आज सूरत के लोगों को, यहां के व्यापारियों-कारोबारियों को दो और उपहार मिल रहे हैं। आज ही सूरत एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का लोकार्पण हुआ है। और दूसरा बड़ा काम ये हुआ है कि अब सूरत एयरपोर्ट को इंटरनेशनल एयरपोर्ट का दर्जा मिल गया है। सूरतियों की बरसों पुरानी मांग आज पूरी हुई है। और मुझे याद है जब मैं पहले आता था यहां तो सूरत का एयरपोर्ट…कभी-कभी लगता है बस स्टेुशन ज्या दा अच्छाल है कि एयरपोर्ट अच्छा  है। बस स्टेएशन अच्छो लगता था, ये तो एक झोंपड़ी जैसा था। आज कहां से कहां पहुंच गए, ये सूरत का सामर्थ्य दिखाता है।

सूरत से दुबई की फ्लाइट आज से शुरू हो रही है, बहुत जल्द हांगकांग के लिए भी फ्लाइट शुरू होगी। गुजरात के साथ ही और आज जब ये सूरत का एयरपोर्ट बना है, तब गुजरात में अब 3 इंटरनेशनल एयरपोर्ट हो गए हैं। इससे डायमंड के अलावा, यहां की टेक्सटाइल इंडस्ट्री, टूरिज्म इंडस्ट्री, एजुकेशन और स्किल सहित हर सेक्टर को लाभ होगा। मैं इस शानदार टर्मिनल और इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए सूरत वासियों को, गुजरात वासियों को, बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

इसे बनाने का मुख्य उद्देश्य भारत से हीरा, जेम्स और ज्वैलरी के आयात-निर्यात और व्यापार को बढ़ावा देना है, साथ ही डायमंड प्रोडक्शन और बिजनेस से जुड़ी छोटी-बड़ी कंपनियों और एमएसएमई को अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर एवं डायमंड ट्रेडिंग का ग्लोबल प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराना है। खास बात यह है कि इस विश्व स्तरीय प्रोजेक्ट को किसी एक व्यक्ति या कंपनी ने नहीं बल्कि 4200 व्यापारियों ने साथ मिलकर साकार किया है।

यहां देश और दुनिया के हीरा कारोबारियों को एक नया विश्व स्तरीय व्यापार केंद्र मिलेगा, जिसका सीधा लाभ राज्य और देश की अर्थव्यवस्था को मिलेगा साथ ही इससे हजारों लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।       डायमंड बोर्स दुनिया की सबसे बड़ी इंटरकनेक्टेड बिल्डिंग है। बोर्स की 4500 से अधिक ऑफिसें एक-दूसरे के साथ जुड़ी हुई हैं।

सूरत के हीरा उद्योग में सालाना दो लाख करोड़ रुपए का कारोबार होता है, डायमंड बोर्स के साकार होने से यह आंकड़ा बढ़कर चार लाख करोड़ रुपए होने की संभावना है अर्थात केवल एसडीबी के जरिए ही सालाना दो लाख करोड़ रुपए का व्यापार होगा। इससे राज्य और केंद्र सरकार को टैक्स की आय में बड़ा लाभ होगा।

डायमंड बोर्स में 131 हाई स्पीड लिफ्ट लगाई गई हैं, जिनकी स्पीड प्रति सैकेंड तीन मीटर की है। अत्याधुनिक डेस्टिनेशन कंट्रोल सिस्टम के जरिए लिफ्ट का मैनेजमेंट होगा, इससे किसी भी व्यक्ति को 16वीं मंजिल तक पहुंचने में केवल तीन मिनट लगेंगे। कोई भी व्यक्ति, व्यापारी या आगंतुक बोर्स के नौ टॉवरों में से चाहे किसी भी टॉवर में प्रवेश करे, उसे किसी भी ऑफिस में पहुंचने के लिए केवल तीन मिनट लगेंगे।

बोर्स में दो बेसमेंट, ग्राउंड फ्लोर के अलावा 15 मंजिलों वाले कुल नौ टॉवर बने हैं।  प्रत्येक टावर में लग्जुरियस एंट्रेंस फोयर, एक्सेस कंट्रोल सिस्टम – टचलेस और कार्डलेस, 54,000 मीट्रिक टन लोहे के सरिये का उपयोग, पांच लाख क्यूबिक मीटर कंक्रीट का उपयोग, 11.25 लाख वर्ग फुट एलिवेशन ग्लास, 12 लाख रनिंग मीटर, इलेक्ट्रिकल और आईटी फाइबर वायर, 5.50 लाख रनिंग मीटर एचवीएसी, फायर फाइटिंग और प्लम्बिंग पाइप, पांच एंट्री, पांच एग्जिट और सात पेडेस्ट्रियन गेट हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.