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नागरिकों को वापस भेजने का आग्रह
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ब्रिटेन और भारत के साथ है समझौता
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बैगनर की सेना में शामिल हुए थे युवा
राष्ट्रीय खबर
काठमांडू: नेपाल ने कहा कि उसने मॉस्को से कहा है कि वह उसके नागरिकों को रूसी सेना में भर्ती न करे और रूस की सेना में सेवारत छह सैनिकों के मारे जाने के बाद वहां तैनात किसी भी नेपाली सैनिक को तुरंत इस हिमालयी राष्ट्र में वापस भेज दे। नेपाली सैनिक, जिन्हें गोरखा कहा जाता है, अपनी बहादुरी और युद्ध कौशल के लिए जाने जाते हैं, और 1947 में तीन देशों के बीच एक समझौते के तहत भारत की स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश और भारतीय सेनाओं की सेवा कर रहे हैं।
चीन और भारत के बीच फंसे इस छोटे से हिमालयी राष्ट्र का रूस के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं है, जिसने फरवरी 2022 में पड़ोसी यूक्रेन पर आक्रमण किया और तब से युद्ध में लगा हुआ है। नेपाल सरकार ने एक बयान में कहा कि उसके छह नागरिक, जो रूसी सेना की सेवा कर रहे थे, मारे गए। इस बारे में अधिक जानकारी नहीं दी गयी है।
विदेश मंत्रालय ने सोमवार देर रात कहा, नेपाल सरकार ने रूसी सरकार से उनके शव तुरंत वापस करने और उनके परिवारों को मुआवजा देने का अनुरोध किया है। बयान में कहा गया है कि रूसी सेना में कार्यरत और यूक्रेन द्वारा पकड़े गए एक नेपाली नागरिक को रिहा कराने के लिए राजनयिक प्रयास चल रहे हैं।
नेपाल ने अपने नागरिकों से किसी भी युद्धग्रस्त देश की सेना में शामिल नहीं होने का भी आग्रह किया। अंग्रेजी दैनिक, द काठमांडू पोस्ट ने मॉस्को में नेपाल के राजदूत मिलन राज तुलाधर के हवाले से कहा कि 150-200 नेपाली रूसी सेना में भाड़े के सैनिकों के रूप में काम कर रहे थे। काठमांडू में रूसी दूतावास ने टिप्पणी के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया।
लाखों नेपाली नागरिक मुख्य रूप से दक्षिण कोरिया, मलेशिया और मध्य पूर्व में उद्योगों और निर्माण स्थलों पर मजदूर के रूप में नागरिक कार्यों में कार्यरत हैं। वैसे नेपाल के युवकों के रूस की सेना में शामिल होने की खबर पहले ही आ गयी थी। इनमें से अधिकांश को वैगनर समूह के साथ रखा गया था। प्रिगोझिन के मारे जाने के बाद वह निजी सेना भी अब रूसी रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्यरत है। वैसे इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है कि कुल कितने नेपाली युवक अथवा पूर्व सैनिक यूक्रेन के मोर्चे पर रूसी की तरफ से लड़ने चले गये हैं।