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नईदिल्लीः अब इतने दिनों के बाद चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पीछा छुड़ाने की कार्रवाई प्रारंभ की है। आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को चुनाव बॉंड से संबंधित जानकारी देने का पत्र भेजा है। इससे यह संकेत देने की कोशिश हो रही है कि चुनाव आयोग के पास इससे संबंधित कोई सूचना अब तक नहीं है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2 नवंबर को एक आदेश दिया था। इसे देखते हुए चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को चुनावी बांड से जुड़ी सारी जानकारी आयोग को सौंपने का निर्देश दिया है। यह दस्तावेज़ दो सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। आयोग को बताना होगा कि उन्हें किससे क्या मिला है। इसमें सब कुछ बताया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि चुनाव आयोग को यह बताना होगा कि संबंधित राजनीतिक दल को किसने चंदा दिया है, उनका नाम क्या है, कितना पैसा चंदा दिया है, कितना पैसा बैंक में गया है।
यह पूरी सूची पता लिखे लिफाफे में 15 नवंबर तक जमा करानी थी। तीन नवंबर को राजनीतिक दलों के अध्यक्षों, महासचिवों और कोषाध्यक्षों को पत्र भेजा गया है। लिफाफे पर इलेक्टोरल बांड शब्द लिखा होना चाहिए। सबसे पहले सभी दस्तावेजों को एक लिफाफे में रखें और फिर से दूसरे लिफाफे में भर दें। वहीं, राजनीतिक दल इस चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी जमा करने में कई बार झिझकते रहे। वे यह बताना नहीं चाहते कि उन्हें किससे कितना पैसा मिल रहा है। हालाँकि, विभिन्न हलकों से बार-बार यह माँग की जाती है कि पारदर्शिता होनी चाहिए।
इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम भारत सरकार के एक मामले में विशेष फैसला सुनाया। वहां कहा गया है, आयोग को लिफाफे में सारी बातें बतानी चाहिए। किस पार्टी को किससे कितना पैसा मिला, इसकी विस्तृत जानकारी आयोग को देनी चाहिए। इसके लिए समय सीमा तय कर दी गई है। इससे पहले, राजनेता केवल यह विवरण प्रस्तुत करते थे कि उन्हें वार्षिक ऑडिट के दौरान कितना पैसा मिला। इस बार आधा नहीं दिया जाएगा, लेकिन ब्योरा जरूर देना होगा। चुनाव आयोग को बताना चाहिए कि किससे कितना पैसा मिला।