आधार कार्ड के जरिए ठगी का कारोबार इनदिनों तेजी पर है। पहले इस बारे में पश्चिम बंगाल से शिकायतें मिली थी। जिसमें पता चला था कि कई लोगों के बैंक खाते से अनजाने तरीके से पैसे निकाल लिये गये थे। बाद में पुलिस ने कहा कि जालसाजों ने आधार कार्ड में दर्ज फिंगर प्रिंट के जरिए यह नकल की थी।
जिसके बाद प्रशासन को आधार कार्ड में निजी विवरण की सुरक्षा करने की हिदायत जारी की गयी थी। इस बार अपराधियों ने कथित तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और डीएमके सांसद दयानिधि मारन के बचत बैंक खाते से ₹99,999 चुरा लिए हैं। इस संबंध में ग्रेटर चेन्नई पुलिस की साइबर क्राइम विंग में शिकायत दर्ज कराई गई थी।
श्री मारन ने एक्स पर पोस्ट किया, रविवार को, सभी सामान्य सुरक्षा प्रोटोकॉल को दरकिनार करते हुए के माध्यम से नेट बैंकिंग ट्रांसफर के माध्यम से मेरे एक्सिस बैंक के व्यक्तिगत बचत खाते से ₹99,999 चोरी हो गए। एक ओटीपी, ऐसे लेनदेन के लिए मानक प्रोटोकॉल, न तो मेरे लिंक किए गए मोबाइल नंबर पर उत्पन्न हुआ और न ही प्राप्त हुआ।
इसके बजाय, खाते के संयुक्त धारक, मेरी पत्नी के नंबर पर कॉल की गई और धोखेबाजों को यह पूछने का साहस हुआ कि क्या लेनदेन हुआ था। उन्होंने खुद को बैंक से होने का दिखावा किया लेकिन उनकी डिस्प्ले सीबीआईसी इंडिया लिखा था। इससे मेरे संदेह की पुष्टि हो गई और मैंने तुरंत अपने खाते पर सभी गतिविधियों को ब्लॉक कर दिया।
सांसद ने कहा, मेरे लिए यह पहेली है कि उन्होंने इतनी आसानी से निजी जानकारी तक कैसे पहुंच बनाई और सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन कैसे किया। यह कोई फ़िशिंग हमला नहीं था और न ही कोई संवेदनशील विवरण प्रकट किया गया था। बैंक को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि हमला कैसे हुआ और न ही वह इस बारे में कोई ठोस स्पष्टीकरण दे सका कि लेनदेन के लिए मेरे नंबर से ओटीपी की आवश्यकता क्यों नहीं थी।
उन्होंने आगे कहा, अगर ऐसा किसी ऐसे व्यक्ति के साथ हो सकता है जो तकनीक के बारे में जानता है और निजी डेटा को लेकर सतर्क है, तो पहली बार डिजिटल उपयोगकर्ताओं और वरिष्ठ नागरिकों के साथ क्या होगा? क्या किसी का डेटा सुरक्षित है? अतीत में, मैंने एक सांसद के रूप में अपनी क्षमता में साइबर अपराध पीड़ितों के लिए मदद मांगने के लिए माननीय वित्त मंत्री को पत्र लिखा था।
आज, एक पीड़ित के रूप में, मैं जवाबदेही और न्याय की मांग करता हूं। एक अखबार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि जनवरी 2020 से जून 2023 तक भारत में 75 फीसद साइबर अपराध वित्तीय धोखाधड़ी के कारण हुए। उन्होंने कहा कि 2018 में संवेदनशील आधार डेटा बेचे जाने की खबरें सामने आईं और कहा कि बैंक डेटा उल्लंघन और रैंसमवेयर हमले नियमित समाचार बन गए हैं।
भारत को डिजिटल दुनिया में उत्कृष्टता हासिल करने या फिनटेक हब के रूप में उभरने के लिए, हमें मजबूत सुरक्षा और सरकारी कार्रवाई की आवश्यकता है। सरकार हमारे निजी डेटा की सुरक्षा के लिए क्या कार्रवाई कर रही है? क्या वित्त मंत्री इस पर श्वेत पत्र जारी करेंगे? हमें उत्तर चाहिए और हमें अभी उनकी आवश्यकता है, श्री मारन ने कहा। इस बीच, पुलिस ने कहा कि श्री मारन ने एक शिकायत दर्ज कराई थी।
सोमवार को साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, सेंट्रल क्राइम ब्रांच में मामला दर्ज किया गया। अपराधियों का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है और खोई हुई राशि को जल्द से जल्द वापस पाने के लिए पेमेंट गेटवे को अनुरोध भेजा गया है। जनता से ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी के प्रति सचेत रहने का अनुरोध किया गया है।
ग्रेटर चेन्नई पुलिस के पुलिस आयुक्त/पुलिस महानिदेशक संदीप राय राठौड़ ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा। लेकिन एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के बैंक खाते से यह चोरी साबित करती है कि केंद्र सरकार के लगातार आश्वासन दिये जाने के बाद भी आम जनता के निजी विवरण आधार कार्ड में सुरक्षित नहीं रह पा रहे हैं।
इसलिए सरकार को सिर्फ सफाई देने के बदले इस मामले को नये सिरे से जांचना चाहिए कि आखिर गड़बड़ी कहां से हो रही है और उसे कैसे स्थायी तौर पर रोका जा सकता है। इससे पहले भी कई अवसरों पर लोगों के निजी विवरण आधार कार्ड के जरिए ही सार्वजनिक हो चुके हैं।
निजी लोगों तक इसकी पहुंच की एक वजह आउट सोर्सिंग से काम कराने की प्रवृत्ति भी हो सकती है। दैनिक भुगतान पर काम करने वाले अपने साथ कौन से आंकड़े ले जा रहे हैं और बाद में उनका कैसे इस्तेमाल हो रहा है, यह तो हम देख ही पा रहे है। इसलिए जिम्मेदारी टालने के बदले सरकार इस दिशा में काम करे। सिर्फ जुबानी जमा खर्च से आम जनता का पैसा सुरक्षित नहीं है, यह तो कई बार साबित हो चुका है।