-
चीनी सीमा तक तुरंत सैनिक और हथियार पहुंचेंगे
-
तवांग सीमा तक पहुंचना अब आसान हो जाएगा
-
सात सौ करोड़ रुपये की महत्वपूर्ण परियोजना
भूपेन गोस्वामी
गुवाहाटी : अरुणाचल प्रदेश में जल्द ही दुनिया की सबसे लंबी सुरंग खुलने जा रही है। यह सुरंग भारत के लिए सामरिक महत्व की है। इस सुरंग के में एक बार इस्तेमाल में आने के बाद भारतीय सैनिकों के लिए चीन सीमा तक जल्दी पहुंचना संभव हो सकेगा। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) इस सेला सुरंग का निर्माण अरुणाचल प्रदेश में किया गया है।
डबल लेन की यह सुरंग 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। बीआरओ के अधिकारियों के मुताबिक, इससे तवांग जैसे अग्रिम मोर्चों तक पहुंचना आसान हो जाएगा। बता दें कि भारतीय चीन सीमा अरुणाचल प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में जुटी हुई है, ताकि चीन पर लगाम लगाई जा सके।700 करोड़ रुपये की सेला सुरंग परियोजना की आधारशिला पीएम मोदी ने फरवरी 2019 में बालीपाड़ा-चारदुआर-तवांग सड़क पर रखी थी।
एक अन्य सुरंग, चिफू सुरंग का उद्घाटन अगले सप्ताह किया जाना है। अधिकारियों ने बताया कि इस सुरंग से मोर्चों को जोड़ने में भी आसानी होगी। 500 मीटर की यह सुरंग पश्चिम कामेंग में 5700 फीट की है। इसे ऊंचाई पर बीसीटी रोड पर बनाया गया है। अधिकारियों ने कहा कि सेला सुरंग परियोजना के पूरा होने में कुछ देरी हुई क्योंकि बारिश के मौसम में बादल फटने और भूस्खलन के कारण एक लिंक रोड क्षतिग्रस्त हो गया था। यह अब पूरा होने के कगार पर है और चार
यह एक सप्ताह में तैयार हो जाना चाहिए। एक अन्य अधिकारी ने यह भी बताया कि रक्षा मंत्रालय ने सेला सुरंग काउद्घाटन करने के लिए पीएम मोदी समय मांगा है।चीन से लगी सीमा पर यह प्रोजेक्ट काफी अहम है। 14,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सेला दर्रे के ऊपर तवांग तक शीतकालीन कनेक्टिविटी दशकों से सेना के लिए एक बड़ी चुनौती रही है।
हर साल तीन से चार महीने यहां सेना, हथियारों और सामान की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित होती है। नई सुरंग से तवांग की यात्रा का समय कम से कम एक घंटे कम हो जाएगा। साथ ही इसके लॉन्च होने के बाद हर मौसम में कनेक्टिविटी बनी रहेगी। अधिकारियों ने कहा कि सुरंग के पूरा होने और पिछले साल खुलने की उम्मीद थी।
लेकिन लंबे समय तक सर्दी के कारण धीमी गति से निर्माण और सुरंग के अंदर कंक्रीट की स्थापना में देरी जैसे तकनीकी पहलुओं के कारण ऐसा नहीं हो सका।इस प्रोजेक्ट में सुरंग-1 जो 980 मीटर लंबी है। वहीं, सुरंग-2 1555 मीटर लंबी है जो जुड़वां ट्यूब सुरंग है।ये सुरंगें सेला के पश्चिम में दो पहाड़ियों से होकर गुजरी हैं। प्रोजेक्ट में दो सड़कें भी शामिल हैं, जो क्रमश: 7 किमी और 1.3 किमी है। इनके निर्माण में 50 से अधिक इंजीनियर और 500 बीआरओ वर्कर्स शामिल रहे ।